बिलासपुर, छत्तीसगढ़। मुंगेली जिले के सरगांव स्थित ग्राम पंचायत रामबोड़ के कुसुम प्लांट में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे के बाद जिला प्रशासन, एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स), और एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) की टीम ने 40 घंटे तक एक कठिन और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया।
कुसुम प्लांट में साइलो हटाने के दौरान भारी मात्रा में राखड़ का मलबा गिरने से मजदूर फंस गए। जैसे ही घटना की सूचना मिली, जिला प्रशासन सक्रिय हो गया। कलेक्टर राहुल देव और एसपी भोजराम पटेल की देखरेख में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ। पूरी रात चली इस कार्रवाई में आपदा प्रबंधन की टीमों ने अथक प्रयास करते हुए राखड़ में फंसे तीन मजदूरों के शव बरामद किए।
मृतकों की पहचान
हादसे में तीन मजदूरों की मौत हुई, जिनकी पहचान इस प्रकार हुई:
1. अवधेश कश्यप (पिता निखादराम कश्यप) निवासी तागा, जांजगीर-चांपा।
2. प्रकाश यादव (पिता परदेशी यादव) निवासी अकोली, बलौदाबाजार।
3. जयंत साहू (पिता काशीनाथ साहू) निवासी जबड़ापारा, सरकंडा, बिलासपुर।
इन सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए बिलासपुर के सिम्स ( लक्ष्मी नारायण मेडिकल कॉलेज) भेजा गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में राखड़ की भारी मात्रा और संकरी जगह के कारण टीमों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आधुनिक उपकरणों और मैन्युअल प्रयासों का इस्तेमाल करते हुए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने सावधानीपूर्वक काम किया। कलेक्टर और एसपी पूरे समय स्थल पर मौजूद रहे और ऑपरेशन की निगरानी करते रहे।
हादसे के बाद प्रशासन ने तुरंत एक्शन लेते हुए बचाव अभियान शुरू किया। स्थानीय लोग भी घटना से स्तब्ध हैं और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
यह हादसा सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही की ओर इशारा करता है। कुसुम प्लांट जैसे औद्योगिक स्थानों पर काम के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और आधुनिक सुरक्षा उपकरणों का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए।
कुसुम प्लांट हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि औद्योगिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस घटना से सीख लेते हुए प्रशासन और औद्योगिक प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए यह उम्मीद की जाती है कि उन्हें न्याय और मुआवजा प्रदान किया जाएगा।