बिलासपुर, 17 अप्रैल 2025 —
“मैं देख नहीं सकती, पर जब नल से पानी गिरने की आवाज सुनती हूं तो मन को बड़ा सुकून मिलता है…” — ये शब्द सिर्फ एक नेत्रहीन महिला की भावनाएं नहीं, बल्कि उस बदलाव की झलक हैं जो भारत के सुदूर गांवों में सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन से आ रहा है।
नारायणपुर जिले से 40 किलोमीटर दूर बसे छोटे से गांव कदेर की रहने वाली कोसी बाई और उनके पति मुरा राम नुरूटी की जिंदगी में जल जीवन मिशन ने एक नया उजाला भर दिया है। नेत्रहीन कोसी बाई और एक पैर से दिव्यांग मुरा राम के लिए, रोजमर्रा की ज़िंदगी आसान नहीं थी। पानी के लिए कई किलोमीटर दूर झरिया तक जाना, कांवड़ में पानी भरकर लाना — ये एक दिन की नहीं, सालों की कहानी थी।
लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। कोसी बाई अब जब नल से गिरते पानी की आवाज सुनती हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे कोई अधूरा सपना पूरा हो गया हो। उनके पति मुरा राम कहते हैं, “अब झरिया नहीं जाना पड़ता। घर के आंगन में नल से पानी गिरते देखना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता।”
जल जीवन मिशन के तहत गांव में तीन सोलर पानी टंकियों का निर्माण हुआ और 4700 मीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई। इसका नतीजा ये है कि आज ग्राम कदेर के हर घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। कोसी बाई और मुरा राम की तरह सैकड़ों ग्रामीणों की ज़िंदगी अब रोज़ की जद्दोजहद से मुक्त हो गई है।
यह कहानी सिर्फ एक योजना की सफलता नहीं, बल्कि यह उस सोच की जीत है जो विकास को अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने की बात करती है। यह उस संवेदनशील प्रशासनिक दृष्टिकोण का परिणाम है, जो यह समझता है कि बदलाव सिर्फ आंकड़ों में नहीं, इंसानी जिंदगियों में नजर आना चाहिए।
आज कदेर गांव की गलियों में बच्चों की हंसी और नलों की टप-टप करती आवाजें एक नये युग की शुरुआत का संकेत देती हैं। कोसी बाई की बातों में भले ही आंखों का उजाला न हो, लेकिन उनके शब्दों में जो उजास है, वह बता देता है कि जब योजना ज़मीन पर उतरती है, तो सपने सच में बदलते हैं।