रायपुर, 03 जून 2025। छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने एक ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पूरे प्रदेश में निकाह के नजराने (उपहार) की सीमा निर्धारित कर दी है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब राज्य के किसी भी ईमाम या मौलाना द्वारा निकाह पढ़ाने के एवज में 1100 रुपए से अधिक का नजराना नहीं लिया जा सकेगा। यह फैसला खास तौर पर गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम परिवारों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
इस आदेश के पीछे एक गंभीर घटना ने भूमिका निभाई। हाल ही में वक्फ बोर्ड को शिकायत प्राप्त हुई थी कि एक मौलाना ने 5100 रुपये का नजराना न मिलने पर निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया। इस प्रकार की घटनाओं से समाज के भीतर असंतोष और असमानता का वातावरण बनता है। डॉ. सलीम राज ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की और राज्यभर में यह आदेश लागू करने की घोषणा की।
शरीयत का भी है समर्थन
इस्लाम में शरीयत का स्पष्ट आदेश है कि निकाह को आसान बनाया जाए और उसमें कोई आर्थिक बोझ न डाला जाए। डॉ. सलीम राज ने इस संदर्भ में कहा कि यह आदेश न केवल सामाजिक सुधार की दिशा में एक कदम है, बल्कि धार्मिक मूल्यों के अनुरूप भी है। वक्फ बोर्ड के इस निर्णय से यह संदेश भी गया है कि धार्मिक कार्यों को व्यवसायिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।
800 मौलानाओं पर होगा लागू
प्रदेश में लगभग 800 से अधिक मौलाना और ईमाम हैं जो विभिन्न वक्फ संस्थाओं जैसे मस्जिद, मदरसा और दरगाह से जुड़े हैं। यह आदेश सभी पर लागू होगा और इसका उल्लंघन करने पर संबंधित मौलाना या ईमाम के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी। बोर्ड ने सभी मुतवल्लीयों को इस आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
गरीब परिवारों को मिलेगा लाभ
डॉ. सलीम राज ने कहा कि इस आदेश का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर और पिछड़े वर्ग को राहत पहुंचाना है। उनके अनुसार, “एक गरीब व्यक्ति के लिए 5100 रुपये जुटाना बेहद कठिन होता है। ऐसे में शादी जैसे धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य को आसान बनाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘गरीब का हक गरीब को मिले’ के विजन से यह कदम पूरी तरह मेल खाता है।
निकाह में सरलता से बढ़ेगा सामाजिक संतुलन
इस आदेश से न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राहत मिलेगी बल्कि निकाह की प्रक्रिया को सरल, सुलभ और निष्पक्ष बनाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही यह फैसला एक संदेश है कि धार्मिक कार्यों में दिखावे और अनावश्यक खर्च से बचा जाना चाहिए।
तीन तलाक कानून का जिक्र
डॉ. सलीम राज ने इस मौके पर तीन तलाक कानून का भी जिक्र करते हुए कहा कि इस कानून के लागू होने से मुस्लिम महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि तलाक के मामलों में 35 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कि समाज के भीतर स्थिरता और सुधार की दिशा में एक बड़ा संकेत है।