बिलासपुर/मुंगेली। फर्जी दस्तावेजों के सहारे शासकीय नौकरी प्राप्त करने वाले कर्मचारियों पर मुंगेली जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर ने जांच के बाद 27 शासकीय कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। ये सभी कर्मचारी फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र, विशेषकर श्रवण बाधित विकलांगता (हियरिंग इम्पेयरमेंट) से संबंधित नकली दस्तावेजों के आधार पर सरकारी सेवा में भर्ती हुए थे।
विभागवार बर्खास्त कर्मचारी
बर्खास्त कर्मचारियों में सर्वाधिक संख्या शिक्षा और कृषि विभाग की है:
- शिक्षा विभाग: 11 कर्मचारी (सहायक शिक्षक व व्याख्याता)
- कृषि विभाग: 11 कर्मचारी (ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी व प्रयोगशाला सहायक)
- उद्यानिकी विभाग: 2 कर्मचारी (ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी)
- अन्य विभाग: 3 कर्मचारी (श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, सांख्यिकी)
इनका नाम सूची में शामिल
शिक्षा विभाग के जिन कर्मचारियों को सेवा से हटाया गया है, उनमें मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, पवन सिंह राजपूत, रवीन्द्र कुमार गुप्ता, विकास कुमार सोनी, अक्षय सिंह राजपूत, योगेन्द्र सिंह राजपूत, गोपाल सिंह राजपूत, मनीष राजपूत, नरहरी सिंह राठौर और राकेश सिंह राजपूत के नाम शामिल हैं।
कृषि विभाग से प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, नितेश कुमार गुप्ता, टेकचंद रात्रे, बृजेश सिंह राजपूत, निलेश कुमार राठौर, विजेन्द्र नार्गव, गुलाब सिंह राजपूत, सुरेन्द्र कुमार कश्यप, भीष्मराव भोसले और सत्यप्रकाश राठौर को बर्खास्त किया गया है।
वहीं, उद्यान विभाग से पूजा पहारे और सतीश नवरंग तथा पंचायत विभाग से विकास विस्तार अधिकारी राजीव कुमार तिवारी को भी सेवा से मुक्त किया गया है।
प्रमाण पत्रों की जांच में हुआ खुलासा
कलेक्टर द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड और दस्तावेज जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि इन सभी कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से श्रवण बाधित होने का प्रमाण पत्र बनवाया और विशेष आरक्षण कोटे के तहत नियुक्ति प्राप्त की थी।
प्रशासन की सख्ती और अगली कार्रवाई
जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीर अनियमितता मानते हुए सभी दोषियों को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश तत्काल प्रभाव से जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही संबंधित फर्जी प्रमाण पत्रों को जारी करने में संलिप्त रहे मेडिकल अधिकारियों एवं दलालों की भी जांच की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन अब रिकवरी की प्रक्रिया और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की दिशा में भी विचार कर रहा है।
एक मिसाल बनती कार्रवाई
इस कार्रवाई को शासन-प्रशासन की पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर रवैये का प्रतीक माना जा रहा है। यह निर्णय उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो योग्यता के बल पर नौकरी की चाह रखते हैं।