रायपुर/कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा स्थित शासकीय पं. श्री ग्रंथ मुनि नाम साहेब स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारी वित्तीय गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित विशेष जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2019–20 से 2024–25 के बीच ₹1.22 करोड़ से अधिक की आर्थिक अनियमितता की पुष्टि की है।
नव नियुक्त शिक्षा सचिव एस. भारतीदासन के कार्यभार संभालने के बाद, उच्च शिक्षा संचालनालय अटल नगर द्वारा संस्थानों में व्याप्त वित्तीय कुप्रबंधन पर विशेष निगरानी शुरू की गई। इसी के तहत मिली शिकायत के आधार पर 11 मार्च 2025 को जांच समिति गठित की गई।
समिति में शामिल थे:
- डॉ. आर.एस. खेर (संयोजक)
- राजेश कोमलवात (रजिस्ट्रार)
- आकाश दुबे (लेखापाल)
जांच कार्य की शुरुआत 17 मार्च 2025 से की गई थी।
जांच में सामने आईं प्रमुख अनियमितताएं:
1. सरकारी खाते में राशि जमा नहीं:
कॉलेज को 2019–2025 के बीच छात्रों से कुल ₹18,08,036 की राशि प्राप्त हुई, लेकिन केवल ₹13,09,308 ही शासकीय मद में जमा की गई। शेष ₹5,05,581 गायब पाई गई।
2. स्ववित्तीय मद का दुरुपयोग:
स्ववित्तीय मद में प्राप्त ₹24,81,805 की राशि को कोषालय में जमा नहीं किया गया, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
3. निजी खर्च में सरकारी राशि का प्रयोग:
बिजली बिल, वेतन, फर्नीचर और साउंड सिस्टम जैसी आवश्यकताओं के लिए नगद भुगतान किया गया, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए।
4. फर्जी केशबुक का मामला:
प्रमोद कुमार वर्मा (सहायक ग्रेड-2) द्वारा दो अलग-अलग केशबुक तैयार की गईं। जांच में इनमें से एक को फर्जी पाया गया, जिससे दस्तावेज़ी धोखाधड़ी की पुष्टि हुई।
जिम्मेदार अधिकारी कौन?
जांच समिति ने दो अधिकारियों को मुख्य रूप से दोषी ठहराया है:
- डॉ. डी.एस. चौहान (तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य)
- प्रमोद कुमार वर्मा (सहायक ग्रेड-2)
समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रमोद वर्मा ने बार-बार दस्तावेज़ छुपाए, समिति को गुमराह किया और कई मामलों में स्वयं राशि रखी, जो अपराध की श्रेणी में आता है।
FIR की सिफारिश और चेतावनी:
रिपोर्ट के अंतिम पृष्ठ में साफ तौर पर कहा गया है कि यह एक दंडनीय अपराध है। समिति ने इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है और संबंधित थाना में प्रारंभिक सूचना देने की अनुमति प्रदान की गई है।
समिति ने यह भी चेताया कि यदि इस मामले में समय पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो अन्य शासकीय महाविद्यालयों में भी इस तरह की वित्तीय गड़बड़ियों के प्रकरण सामने आ सकते हैं।