रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल आज दोपहर 1 बजे प्रवर्तन निदेशालय (ED) कार्यालय पहुंचकर अपने बेटे चैतन्य बघेल से मुलाकात करेंगे। चैतन्य इन दिनों ईडी की हिरासत में हैं। उन्हें हाल ही में एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था।
चैतन्य बघेल से यह मुलाकात कानूनी प्रक्रिया के तहत की जा रही है, लेकिन इससे राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। भूपेश बघेल पहले ही इस कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दे चुके हैं। अब उनके बेटे से संभावित मुलाकात को लेकर कई कानूनी और राजनीतिक सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या ED हिरासत में आरोपी को परिजनों से मिलने की अनुमति होती है?
हां, भारतीय कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अपने परिजनों से मिलने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन यह पूरी तरह एजेंसी (ED या पुलिस) की अनुमति और शर्तों पर निर्भर करता है। इसमें समय, स्थान और मुलाकात की अवधि सीमित हो सकती है।
क्या भूपेश बघेल ED कार्यालय में बेटे से मिल पाएंगे?
अगर ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से की गई मुलाकात की अर्जी को स्वीकृति दे दी है, तो वे चैतन्य से मुलाकात कर सकते हैं। अब तक की जानकारी के अनुसार, यह मुलाकात ED के नियमों और प्रक्रिया के तहत हो रही है।
क्या इस तरह की मुलाकात के लिए कोर्ट की अनुमति जरूरी होती है?
नहीं, यदि व्यक्ति ईडी की रिमांड में है, तो ईडी स्वयं अपने विवेक से परिजनों से मुलाकात की अनुमति दे सकती है। हालांकि यदि ईडी अनुमति न दे या विवाद की स्थिति बने, तो कोर्ट की अनुमति अनिवार्य हो जाती है।
यदि चैतन्य बघेल न्यायिक हिरासत में चले जाते हैं तो क्या प्रक्रिया बदलेगी?
जी हां। न्यायिक हिरासत (जेल) में पहुंचने के बाद मुलाकात का अधिकार कैदी के नियमों के तहत तय होता है। परिजनों को जेल प्रशासन से मुलाकात के लिए आवेदन करना होता है, और यह प्रक्रिया अधिक नियंत्रित और समयबद्ध होती है।
क्या ED ने मुलाकात की अनुमति दी है?
सूत्रों के अनुसार, ED ने भूपेश बघेल को आज दोपहर बेटे से मिलने की सशर्त अनुमति दी है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह मुलाकात कितनी देर की होगी और किस प्रकार की निगरानी के बीच होगी।
राजनीतिक हलकों में बढ़ी चर्चा
कांग्रेस इस पूरी कार्रवाई को भाजपा सरकार द्वारा “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” मान रही है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में वह इसके खिलाफ आंदोलन को तेज कर सकती है। वहीं भाजपा इसे कानून की प्रक्रिया मान रही है और कह रही है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।