बिलासपुर/मुंगेली। सरगांव थाना क्षेत्र में ऑनलाइन ठगी के एक बहुचर्चित मामले में नया मोड़ सामने आया है। इस मामले में ₹15 लाख 35 हजार की साइबर ठगी की आरोपी महिला गुलशना उर्फ शालिनी कुमारी और पीड़ित के बीच आपसी समझौता हो गया, लेकिन इसके बावजूद कोर्ट ने केस समाप्त करने की अनुमति नहीं दी और याचिका खारिज कर दी।
मामले की शुरुआत पीड़ित बजरंग साहू की शिकायत से हुई थी, जिसमें उन्होंने अपने और भाई के संयुक्त बैंक खाते से ठगी की रकम निकाले जाने की बात कही थी। मामले की जांच मुंगेली साइबर सेल ने की और दिल्ली में छापेमारी कर मुख्य आरोपी महिला समेत तीन लोगों – गुलशना, अनिल कुमार और नरेंद्र प्रताप उर्फ पंकज कुमार को गिरफ्तार किया गया। छापेमारी के दौरान पुलिस ने ₹4.20 लाख नकद, फर्जी आधार कार्ड, बायोमेट्रिक डिवाइस और 6 मोबाइल फोन जब्त किए। इसके अतिरिक्त ₹3.38 लाख आरोपियों के बैंक खातों में फ्रीज किया गया।
ट्रायल के दौरान महिला आरोपी गुलशना और पीड़ित बजरंग साहू के बीच ₹5 लाख की राशि लौटाने पर समझौता हुआ। इसके आधार पर पीड़ित ने न्यायालय में मामला समाप्त करने के लिए याचिका दायर की, मगर ट्रायल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि मामला “टाइम-बाउंड” है और उच्च न्यायालय के आदेशानुसार इसे 6 माह के भीतर निपटाना अनिवार्य है।
महिला आरोपी गुलशना का पति नरेंद्र प्रताप, जो इस मामले में सह-आरोपी है, उससे अब उसका वैवाहिक संबंध भी समाप्त हो चुका है। कोर्ट ने अन्य सह-आरोपियों के विरुद्ध जांच जारी रखने और शीघ्र चार्जशीट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला साइबर अपराधों में तेजी से बढ़ते घटनाक्रम और पीड़ित-आरोपी के बीच कोर्ट के बाहर समझौते की वैधता पर एक बार फिर बहस को जन्म देता है। कोर्ट का रुख यह स्पष्ट करता है कि गंभीर आर्थिक अपराधों में केवल आपसी समझौते से मुकदमे खत्म नहीं किए जा सकते, विशेषकर जब मामला समयबद्ध न्यायिक प्रक्रिया के तहत हो।