नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी निराशा हाथ लगी है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को चैतन्य बघेल की याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट का रुख करने को कहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में अर्जियों पर जल्द सुनवाई सुनिश्चित करे। भूपेश बघेल के याचिका पर 6 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक ही याचिका में पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने के साथ-साथ व्यक्तिगत राहत की भी मांग की है, जो प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी याचिकाकर्ता एक याचिका के माध्यम से वैधानिक प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने और साथ ही जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी:
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा,
“जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट चला आता है। अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करने लगेंगे, तो अन्य अदालतों की क्या आवश्यकता रह जाएगी? आम आदमी और साधारण वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई जगह ही नहीं बचेगी।”
कोर्ट ने क्या कहा?
- याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट जाएं।
- एक ही याचिका में वैधानिक चुनौती और व्यक्तिगत राहत मांगना प्रक्रियागत रूप से गलत है।
- पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग याचिका दायर करें।
- हाईकोर्ट से चैतन्य बघेल की जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई की उम्मीद जताई।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMlA) के तहत कार्रवाई करते हुए कई नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके पुत्र चैतन्य बघेल भी इसी मामले में जांच के घेरे में हैं। इस घोटाले में करोड़ों रुपये के अवैध लेन-देन और घूसखोरी के आरोप सामने आए हैं।