बिलासपुर। आज की दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है। बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, सोशल मीडिया से लेकर रोजमर्रा के अधिकांश काम इंटरनेट पर निर्भर हो चुके हैं। ऐसे में साइबर अपराध भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं। लोगों को इन खतरों से बचाने और जागरूक करने के उद्देश्य से एनटीपीसी सीपत में 10 सितंबर 2025 को “साइबर क्राइम एवं डिजिटल अरेस्ट” विषय पर एक विशेष जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया।
यह सत्र केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा 18 अगस्त से 17 नवम्बर 2025 तक चलाए जा रहे तीन माह के प्रिवेंटिव विजिलेंस अभियान के अंतर्गत आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता एनटीपीसी सीपत के परियोजना प्रमुख विजय कृष्ण पाण्डेय ने की।
एनटीपीसी सीपत के सतर्कता विभाग एवं मानव संसाधन विभाग ने मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रतिभागियों को यह सिखाना था कि किस प्रकार वे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रह सकते हैं, साइबर अपराधों की पहचान कर सकते हैं और समय रहते खुद को तथा दूसरों को नुकसान से बचा सकते हैं।
पुलिस अधिकारियों ने दी जानकारी
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बिलासपुर पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में डिजिटल सुरक्षा केवल तकनीकी विषय नहीं बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि कैसे छोटे-छोटे सतर्क कदम जैसे पासवर्ड प्रबंधन, ओटीपी साझा न करना, लिंक व मैसेज पर सतर्क रहना हमें बड़ी हानियों से बचा सकते हैं। उन्होंने कई वास्तविक उदाहरणों के माध्यम से दिखाया कि एक छोटी लापरवाही कैसे बड़े नुकसान में बदल सकती है।
इसके बाद साइबर सेल के विशेषज्ञ प्रभाकर तिवारी ने विस्तार से विभिन्न प्रकार की साइबर ठगी जैसे –
- एटीएम और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी
- ओटीपी से जुड़ी जालसाजी
- मोबाइल टावर लगाने का झांसा
- लॉटरी और इनाम के नाम पर ठगी
- बीमा पॉलिसी व निवेश में धोखाधड़ी
- फर्जी कॉल और सोशल मीडिया पर फ्रॉड
के बारे में बताया। उन्होंने प्रतिभागियों को यह भी सिखाया कि ऐसे मामलों में क्या कदम उठाने चाहिए, शिकायत कहां करनी चाहिए और कौन से सुरक्षा उपाय तुरंत अपनाने चाहिए।
सवाल-जवाब सत्र रहा आकर्षण का केंद्र
सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह से सवाल पूछे। किसी ने पूछा कि फर्जी बैंक कॉल से कैसे बचें, तो किसी ने ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड की जानकारी साझा की। विशेषज्ञों ने सभी सवालों के जवाब विस्तार से दिए और यह भी स्पष्ट किया कि शिकायत करने से डरना नहीं चाहिए बल्कि तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करना चाहिए।
बड़ी संख्या में लोग हुए शामिल
यह कार्यक्रम न केवल एनटीपीसी सीपत के कर्मचारियों तक सीमित रहा, बल्कि इसमें उनके परिजन और आसपास के समाज से भी लोग शामिल हुए।
सत्र में शामिल प्रमुख अधिकारी और प्रतिभागी:
- महाप्रबंधक (प्रचालन एवं अनुरक्षण) सुरोजीत सिन्हा
- महाप्रबंधक (अनुरक्षण) दिनेश कुमार सिंह रौतेला
- अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) जयप्रकाश सत्यकाम
- अपर महाप्रबंधक (सतर्कता) कुन्दन राठौड़
- एनटीपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी
- उनके परिजन और कार्यपालक प्रशिक्षु
- संविदा कर्मी
- सीआईएसएफ एवं उनके परिवारजन
- बाल भारती स्कूल के शिक्षक
- उज्ज्वल नगर निवासी
लगभग 250 प्रतिभागियों ने इस सत्र में भाग लेकर लाभ उठाया।
कार्यक्रम का महत्व
डिजिटल युग में जब हर व्यक्ति इंटरनेट और स्मार्टफोन से जुड़ा है, तब ऐसे सत्र बेहद आवश्यक हैं। इनसे न केवल तकनीकी जानकारी मिलती है, बल्कि लोगों में यह आत्मविश्वास भी आता है कि वे जागरूक होकर किसी भी साइबर ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं।