Sunday, December 22, 2024
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पुलिस का एक चेहरा ऐसा भी, ASP ने घर के एक कमरे में 7 माह से कैद युवती को कराया आजाद, इलाज कराने भी भेजा

कोरिया। पुलिस का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में एक ऐसा चेहरा सामने आता है जिसमें पुलिस अप​राधियों की धर पकड़ करते दिखती है, अ​पराधियों को मारते पीटते दिखती है, अपनी वर्दी का खौफ दिखाते दिखती है​ या फिर अपनी कड़क आवाज में लोगों को चेतावनी देते हुए दिखती है। लेकिन हम आपको पुलिस का एक ऐसा चेहरा दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर आप भी कहेंगे कि पुलिस का एक रूप ये भी है।

बात कोरिया​ जिले के मुख्यालय बैकुण्ठपुर में पदस्थ एडिशनल एसपी पंकज शुक्ला की है। जिन्होने संवेदनशील रूख अपनाते हुए 7 माह से एक कमरे में बंद युवती को उसके घर से न सिर्फ रिहा किया बल्कि उसे जिला अस्पताल भेज कर उसका बेहतर इलाज कराने की पहल की। छत्तीसगढ़ पुलिस का आधार वाक्य है ‘परित्राणाय साधूनाम’। ये वाक्य भगवद्गीता से लिया गया है। जो इस प्रकार है ”परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌ । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥”आज पुलिस ने अपने आधार वाक्य को चरित्रार्थ करते हुए एक निर्दोष युवती को घर की चार दीवारी से मुक्त कर उसे नया जीवन देने का प्रयास कर रही है।

जूनापारा की महिला पुलिस वॉलिंटियर इंदिरा ने पुलिस को बताया कि युवती का नाम सूरज राजवाड़े उम्र 24 साल है, इसके पिता का देहांत हो चुका है और मां अपने परिवार से दूर रहती है। इसके दो भाई इससे अलग रहते हैं, जो चचेरे भाई बताये जा रहे हैं। बड़ा चचेरा भाई विनोद पंडोपारा कालरी में कार्यरत है वह कभी कभार आकर सूरज का इलाज करवा देता था और दूसरा चचेरा भाई चरचा कालरी में आटो चलाता है। अपने घर में यह अकेले रहती थी पास पडोस के लोग कभी कभार खाना पीना देकर ताला बंद कर कैद कर देते थे उसकी देखभाल करने वाला कोई नही था।

महिला वालेंटियर ने थाने में फोन कर पुलिस को महिला के घर में बंद होने की जानकारी दी । जानकारी मिलते ही एडिशनल एसपी पंकज शुक्ला महिला पुलिस लेकर तत्काल मौके पर पहुंच घर का ताला तोड़कर युवती को बाहर निकाला । युवती डरी हुई और कमजोर हालत में पड़ी मिली जिसे जिला अस्पताल लाया गया । यहां सीएमओ के द्वारा जांच कर उसे तत्काल आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। युवती काफी डिप्रेशन में है, स्वस्थ होने के बाद यह पता चल सकेगा कि उसकी इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है ?

पुलिस ने पास पड़ोस व उसके सहेलियों से बात की तो बताया गया कि बंधक बनाकर घर में रखने के पहले उसका स्वास्थ्य सामान्य था । अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी इंसान को लंबे समय तक कैद कर देने से उसकी मनोदशा क्या हो सकती है। सूरज राजवाड़े की चिकित्सा कर रहे डॉक्टर का कहना है कि बहुत दिन से लोगों को देख नही पाई है अब बाहर निकलकर वह डिप्रेशन में है बाकी स्थिति सामान्य है खून जांच रिपोर्ट आने पर उसकी सही स्थिति को बताया जा सकता है।

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