दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली की सरकार को आरटी-पीसीआर (RT-PCR Test) के माध्यम से COVI-19 टेस्ट बढ़ाने का सुझाव दिया है, क्योंकि रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test) सटीक रिपोर्ट नहीं देते हैं। हाईकोर्ट ने विशेषज्ञ समिति से इस संबंध में विचार करने के लिए एक बैठक बुलाने को कहा है।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट के माध्यम से की गई जांच परिणाम 60 प्रतिशत सटीक होता है, जो उन लोगों में संक्रमण के बारे में एक बड़ा संदेह पैदा करता है जो बिना लक्षण वाले हैं।
हाईकोर्ट ने आरटी-पीसीआर के माध्यम से टेस्ट की क्षमता को बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि हम इस बात पर कायम हैं कि आरटी-पीसीआर आगे बढ़ना चाहिए। हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति से आरटी-पीसीआर टेस्ट की क्षमता पर विचार करने के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाए जाने का अनुरोध किया है।
अदालत ने कहा कि पिछले सप्ताह किए गए कुल टेस्ट्स में से एक-चौथाई आरटी-पीसीआर और बाकी रैपिड एंटीजन प्रक्रिया के माध्यम से किए गए थे। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 30 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
हालांकि, दिल्ली सरकार के स्थायी वकील सत्यकाम ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि अधिकारी आरटी-पीसीआर के माध्यम से टेस्ट बढ़ाने पर विचार करेंगे, लेकिन रैपिड एंटीजन टेस्ट के संचालन की अपनी प्रक्रिया का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह तुरंत परिणाम देता है।
हाईकोर्ट वकील राकेश मल्होत्रा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें संक्रमित लोगों की पहचान के लिए राजधानी में बड़े पैमाने पर तेजी से टेस्ट करने के निर्देश दिए गए थे।