टीबी के बारे में डॉक्टरों ने छिपाया तो होगी दो साल की सज़ा
टीबी मरीजों के बारे में यदि कोई जानकारी छिपाता है, तो अब अस्पतालों और डॉक्टरों के लिए गंभीर हो सकता है। दरअसल, सरकार ने टीबी के बारे में जानकारी छिपाने वाले अस्पतालों पर सजा का प्रावधान किया है। इसके लिए अब 6 महीने से दो साल की सजा और जुर्माना भी अदा करना पड़ सकता है। इस बावत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अधिूसचना जारी की गई है। सरकार ने 2012 में टीबी को सूचनात्मक रोग घोषित किया। लेकिन लोगों की उदासीनता को देखते हुए अब सजा का प्रावधान नहीं था।
दरअसल, अब मंत्रालय ने प्रयोगशाला डॉक्टरों के क्लीनिक, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रबंधन की रिपोर्टिंग के लिए अलग फॉर्मेट जारी किए हैं। अब इसके अंतर्गत टीबी मरीजों की जानकारी अनिवार्यता जारी करनी होगी। जिसमें टीबी मरीज का नाम-पता, उनको दी जाने वाली चिकित्सा और सुविधाओं को नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को बताना होगा। वहीं इसे जिले के स्वास्थ्य अधिकारी और सीएमओ के साथ भी साझा करना होगा ताकि मरीजों की जानकारी के बारे में डाटा भी बन सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशाला और डॉक्टरों को क्लिनिक, अस्पताल और नर्सिंग होम प्रबंधन की रिपोर्टिंग के लिए अलग प्रारूप जारी किया है। नए प्रारूप के तहत अब इन्हें टीबी मरीजों की विस्तृत जानकारी अनिवार्य तौर पर साझा करनी होगी। नए प्रारूप के तहत टीबी मरीज का नाम और पता, उनको दी जाने वाले चिकित्सा और सुविधाओं की जानकारी नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को दी गई सूचना के साथ जिला स्वास्थ्य अधिकारी या सीएमओ के नाम को भी साझा करना होगा।
दिल्ली में में हर साल 55 हजार टीबी के नए मरीज
राजधानी मं हर साल 55,000-57,000 टीबी के नए रोगी सरकारी अस्पतालों में आते हैं। वहीं देशभर में यह आंकड़ा तीन करोड़ से भी ज्यादा है। लोक नायक अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसएजी) और राज्य के टीबी अधिकारी डॉ. अश्वनी खन्ना ने बताया कि यह आंकड़े केवल सरकारी अस्पतालों के हैं। डॉ. खन्ना ने बताया कि ‘नेशनल स्ट्रेटजी प्लान 2017-2025’ के तहत देशभर में टीबी उन्मूलन के लिए व्यापक स्तर पर टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि टीबी लाइलाज रोग नहीं है। बस लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।