बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभाेग तहसील में 40 ऐसे गांव हैं जहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक है। इससे बच्चों व ग्रामीणों में गंभीर बीमारी फैल रही है। पानी की सांद्रता आठ गुना अधिक है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को नोटिस जारी कर शासन स्तर पर किए जा रहे उपाय को लेकर जानकारी मांगी है। जनहित याचिका की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 14 अगस्त की तिथि तय कर दी है।
देवभोग तहसील के गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड जैसी गंभीर बीमारी से ग्रामीणों के अलावा बच्चे ग्रसित हैं। यहां के पानी में इसकी सांद्रता 8 गुना अधिक है। फिल्टरेशन संयंत्र लंबे समय से बंद हैं। पीने के पानी में सुरक्षित सीमा से 8 गुना अधिक फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। मीडिया की खबर काे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट से साफ है कि गरियाबंद जिले के बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं।पानी में फ्लोराइड की सीमा 1.5 पीपीएम है।
हालांकि, कुछ गांवों में 2021 में पानी की गुणवत्ता परीक्षण में फ्लोराइड का स्तर 4 पीपीएम के आसपास पाया गया। पानी में फ्लोराइड का उच्च स्तर स्केलेटल फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों की क्षति, ऑस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों की क्षति, जोड़ों से संबंधित समस्याएं, थकान, किडनी से संबंधित रोग और अन्य पुरानी बीमारियों का कारण बन सकता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रभावित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के कई प्रयासों के बावजूद, राज्य के अधिकारी पानी से फ्लोराइड को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। स्थिति चिंताजनक है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भरत ने कहा कि इस संबंध में राज्य शासन के विभागीय अधिकारियों से चर्चा करेंगे व जरुरी उपाय पर काम करेंगे।
इनसे मांगा जवाब: मुख्य सचिव छग शासन, सचिव, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण, सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, सचिव, शहरी ग्रामीण विकास विभाग, राज्य सचिव, ऊर्जा विभाग, कलेक्टर गरियाबंद, सीएमएचओ गरियाबंद, सीएमओ नगरपालिका परिषद गरियाबंद।