बिलासपुर। थाना सरकंडा क्षेत्र में पुलिस सहायता केन्द्र के प्रभारी द्वारा मोपका चौक पर एक कार में भारी मात्रा में अवैध शराब का परिवहन करते हुए पकड़े गए मामले ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों, नवीन बोले उर्फ भज्जी और बलराम यादव को गिरफ्तार किया, जिनके कब्जे से 480 पाव देशी शराब, कुल 86.400 लीटर, जब्त की गई। कार की तलाशी के दौरान, पुलिस को खाकी वर्दी, नीलकमल सिंह राजपूत का एसबीआई खाता और चेकबुक, पहचान पत्र आदि मिला। इन सबूतों से यह स्पष्ट हुआ कि इस अवैध शराब तस्करी में बर्खास्त पुलिस आरक्षक नीलकमल राजपूत की आपराधिक संलिप्तता थी।
पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर ने सख्त कार्रवाई करते हुए नीलकमल राजपूत को तुरंत निलंबित कर जांच के आदेश दिए। आरक्षक नीलकमल राजपूत पर आरोपियों ने यह कबूल किया कि उक्त शराब को नीलकमल राजपूत ने 45,000 रुपये देकर मंगवाया था। इस घटना से यह स्पष्ट हुआ कि नीलकमल राजपूत ने पुलिस की नौकरी का दुरुपयोग कर अवैध शराब की तस्करी जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता की।
पुलिस आरक्षक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने आपराधिक कृत्यों को अंजाम दिया। घटना की रात अवैध शराब पकड़े जाने के बाद, नीलकमल राजपूत बिना किसी सूचना के फरार हो गया था। आरक्षक नीलकमल राजपूत की पुनरावृत्ति की संभावना को देखते हुए, पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने भारतीय संविधान की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया।
आरक्षक के खिलाफ थाना सरकंडा में अप.क्र. 837/ 2024 धारा 34(2) छत्तीसगढ़ आबकारी (संशोधन) अधिनियम 2002 और 59 छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 2015 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था। घटना में प्रयुक्त कार आरक्षक के परिवार के नाम पर पंजीकृत थी, जिससे आरक्षक की अपराध में संलिप्तता स्पष्ट हो गई।
पुलिस ने नीलकमल राजपूत की तलाश जारी रखी, जो गिरफ्तारी के भय से फरार था। आखिरकार, आज दिनांक 30 अगस्त 2024 को पुलिस ने नीलकमल राजपूत को जिला न्यायालय के पास से गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया। इस मामले की जांच अभी भी जारी है।
यह घटना न केवल पुलिस विभाग के लिए एक गंभीर चुनौती है, बल्कि इसने पूरे क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस विभाग द्वारा आरक्षक के खिलाफ की गई सख्त कार्रवाई अन्य अधिकारियों के लिए एक सख्त संदेश है कि कानून के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।