बिलासपुर शहर, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विकास की दिशा में बढ़ते कदमों के लिए जाना जाता था, आज भूमाफियाओं के चंगुल में फंसा हुआ है। भूमाफियाओं की दखलअंदाजी ने न केवल शहर की रंगत और सूरत बिगाड़ दी है, बल्कि मध्यमवर्गीय और नौकरीपेशा वर्ग के लोगों के लिए भी जीना मुश्किल कर दिया है। जिन लोगों ने अपने छोटे से आशियाने का सपना देखा था, वे अब दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
बिलासपुर के कई इलाके जैसे सकरी, काठा कोनी, उसलापुर, मोपका, चिल्हाटी, लाल खदान, तिफरा, और सरगांव भूमाफियाओं का गढ़ बन चुके हैं। इन क्षेत्रों में जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त जोरों पर है, और शासकीय संपत्ति पर भी कब्जा जमाया जा रहा है। बिना राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत के इतने बड़े स्तर पर लूटपाट संभव नहीं होती। भूमाफिया केवल निजी जमीनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि शासकीय जमीनों पर भी कब्जा जमाकर वहां प्लॉट बेच रहे हैं, जिनका न तो कोई वैध दस्तावेज होता है और न ही मूलभूत सुविधाएं।
भूमाफियाओं के इस जाल में सबसे ज्यादा फंसे हैं मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा लोग, जो अपनी छोटी-सी जमीन या घर खरीदने की चाह में बार-बार ठगे जाते हैं। सकरी, काठा कोनी, मोपका, मंगला और तिफरा जैसे इलाकों में ऐसे हजारों लोग हैं, जो अपनी गाढ़ी कमाई से जमीन खरीदने के बाद भी आज तक न बिजली, न पानी, न सड़कों की सुविधाएं प्राप्त कर पाए हैं। इन लोगों के लिए घर खरीदना अब सिर्फ एक सपना बनकर रह गया है, और वे अपनी संपत्ति की वैधता साबित करने में सालों से उलझे हुए हैं।
हालांकि, प्रशासन भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। कई भूमाफिया राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कर कानून के शिकंजे से बाहर हैं, जबकि कुछ अधिकारी उनकी मदद कर उन्हें बढ़ावा देते हैं। नूतन चौक, श्रीकांत वर्मा मार्ग, गौरव पथ जैसे प्रमुख इलाकों में भी भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा जमाकर वहां की सरकारी और नजूल जमीनों को बेचना शुरू कर दिया है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि यहां अब नई सड़कों, नालियों, और पार्कों का निर्माण भी बाधित हो रहा है।
भूमाफियाओं के खिलाफ न्याय की गुहार लगाने वाले लोग प्रशासन और न्यायिक प्रणाली के बीच पिस रहे हैं। छोटे-छोटे मकानों और प्लॉट्स के लिए लड़ने वाले लोग इस उम्मीद में दर-दर भटक रहे हैं कि उनकी सुनी जाएगी। परंतु, उन्हें न्याय मिलने में सालों लग जाते हैं और तब तक भूमाफिया और भी सशक्त हो चुके होते हैं। इस स्थिति में प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार साफ तौर पर उजागर होते हैं।
बिलासपुर शहर की इस गंभीर स्थिति से उबरने के लिए सख्त और ईमानदार प्रशासनिक कार्रवाई की जरूरत है। अवैध कब्जों को हटाने, भूमाफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और सरकारी जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, जनता को जागरूक करने और उनकी संपत्ति के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है।
यदि प्रशासन और सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तो बिलासपुर का विकास रुकेगा और शहर की शान पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। शहर के आम लोग, जो अपनी छोटी-छोटी बचत से एक आशियाने का सपना देखते हैं, वे हमेशा के लिए भूमाफियाओं के चंगुल में फंसे रहेंगे।