छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा तहसील में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है, जिसमें ग्राम डाड़बछाली के पटवारी, रामनरेश बागड़ी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता और सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के उल्लंघन के आधार पर की गई है। मामला तहसील बेलगहना के हल्का नंबर 03 से संबंधित है, जहां पटवारी बागड़ी के कार्यों में अनियमितता पाई गई।
यह मामला ग्राम मटसगरा से शुरू होता है, जहां भूमि खसरा नंबर 285/1, 37/1 और 37/2 का सीमांकन किया गया था। यह भूमि सुरेश कुमार पिता फूलसिंह मरावी के स्वामित्व में थी। पटवारी द्वारा सीमांकन प्रक्रिया के दौरान, दो भिन्न-भिन्न रिपोर्टें प्रस्तुत की गईं, जो आपस में विरोधाभासी थीं। 11 अप्रैल 2017 को किए गए स्थल निरीक्षण में बताया गया कि सुरेश कुमार की भूमि पर कोई कब्जा नहीं है। लेकिन 20 अप्रैल 2017 को तहसीलदार कोटा को भेजी गई रिपोर्ट में पटवारी ने जनकराम पिता चमरू सिंह द्वारा भूमि खसरा नंबर 285/1 पर 0.35 एकड़ पर कब्जा होने की बात कही।
इस विरोधाभास ने प्रशासन को संदेह में डाल दिया, जिसके कारण अतिरिक्त कलेक्टर, बिलासपुर द्वारा विभागीय जांच के आदेश दिए गए। इस जांच के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि पटवारी रामनरेश बागड़ी ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 128-129 का पालन नहीं किया है।
प्रशासन ने इस अनियमितता को गंभीरता से लिया और 24 अक्टूबर 2024 को पटवारी रामनरेश बागड़ी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबन के आदेश के तहत उनका मुख्यालय तहसील कार्यालय बेलगहना, जिला बिलासपुर निर्धारित किया गया है। साथ ही, पटवारी हल्का नंबर 03, ग्राम डाड़बछाली का अतिरिक्त प्रभार अमित पाण्डेय (पटवारी हल्का नंबर 43 सोनसाय नवागांव) को सौंपा गया है।
निलंबन आदेश के अनुसार, विभागीय जांच के लिए तहसीलदार अभिषेक राठौर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हुआ है, और पटवारी के विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ हो चुकी है।
इस मामले ने छत्तीसगढ़ राज्य के प्रशासनिक और कानूनी ढांचे के अनुशासन को दर्शाया है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत, सरकारी अधिकारियों के कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता होती है। यह घटना दिखाती है कि जब भी कोई अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन उचित तरीके से नहीं करता है, तो उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
यह निलंबन आदेश स्पष्ट करता है कि सरकारी कर्मचारियों से पारदर्शी और निष्पक्ष सेवा की अपेक्षा की जाती है। पटवारी रामनरेश बागड़ी का निलंबन उनके कार्यों में आई अनियमितताओं के चलते हुआ है, जो प्रशासनिक नैतिकता और कानून का उल्लंघन माना गया। विभागीय जांच के परिणाम से यह तय होगा कि आगे उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी।