Wednesday, December 18, 2024
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रिलायंस इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के खिलाफ पुलिस की बड़ी कार्रवाई, गिरोह के सरगना समेत तीन गिरफ्तार…

बिलासपुर पुलिस की साइबर थाना टीम और एसीसीयू (एंटी साइबर क्राइम यूनिट) ने एक महत्वपूर्ण अभियान में ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के अंतर्राज्यीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया। इस गिरोह ने लेप्स रिलायंस इंश्योरेंस पॉलिसी का पैसा वापस दिलाने के नाम पर आम लोगों से ठगी कर 48,42,075 रुपये की राशि हड़प ली थी। यह कार्रवाई पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के नेतृत्व में हुई।

ऑनलाइन ठगी का मॉडस ऑपरेंडी

गिरफ्तार अपराधियों ने एक सुनियोजित योजना के तहत अपने ऑपरेशन को अंजाम दिया। वे कॉल सेंटरों के माध्यम से लोगों को फोन कर झूठे दावे करते थे कि उनकी लेप्स हो चुकी इंश्योरेंस पॉलिसी का पैसा वापस दिलाया जा सकता है। इसके लिए वे विभिन्न चार्जेज जैसे “अनापत्ति शुल्क” के नाम पर बड़ी रकम की मांग करते थे। उनके पास फर्जी सिम कार्ड और बैंक खाते थे, जिनका इस्तेमाल इस धोखाधड़ी को अंजाम देने में किया गया।

मुख्य आरोपी और उनकी गिरफ्तारी

गिरफ्तार किए गए अपराधियों में तीन प्रमुख नाम शामिल हैं:

1. कुलदीप सिंह: उम्र 42 वर्ष, नोएडा, उत्तर प्रदेश निवासी। गिरोह के मुख्य सरगना के रूप में पहचाने गए।

2. नितेश कुमार: उम्र 34 वर्ष, नोएडा, उत्तर प्रदेश निवासी।

3. शैलेष कुमार मिश्रा: उम्र 36 वर्ष, दिल्ली निवासी।

पुलिस की टीम ने इन अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पाँच दिनों तक अभियान चलाया। कड़ाके की ठंड और रातों में की गई इस तलाशी के बाद आखिरकार आरोपी पकड़े गए। पूछताछ में उन्होंने अपने अपराधों को कबूल किया और खुलासा किया कि वे फर्जी कॉल सेंटर चलाते थे। इनकी योजना बेहद विस्तृत और तकनीकी रूप से जटिल थी, जिसमें फर्जी बैंक खाते, सिम कार्ड और कॉल सेंटरों का इस्तेमाल किया जाता था।

गिरोह का नेटवर्क और कार्यप्रणाली

गिरोह के सदस्य फर्जी सिम कार्ड और फर्जी बैंक खातों के माध्यम से धोखाधड़ी करते थे। ये अपराधी पीड़ितों से ठगी गई राशि को फर्जी खातों में जमा करवाते और फिर उस पैसे को एटीएम और फर्जी सिम कार्ड के जरिए निकाल लेते।

उन्होंने कॉल सेंटरों से डेटा खरीदकर, मोबाइल नंबरों की जानकारी प्राप्त की और फिर फोन कॉल्स के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाया। उन्होंने यह भी कबूला कि वे फर्जी बैंक खाते खोलने और सिम कार्ड लेने के बाद विभिन्न व्यक्तियों के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम देते थे।

संपत्ति की जब्ती और आगे की कार्यवाही

पुलिस ने आरोपियों की संपत्तियों को जप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो उन्होंने ठगी के पैसे से अर्जित की थी। फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। मामले की विस्तृत जांच जारी है, और पुलिस का प्रयास है कि इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों तक भी पहुंचा जाए।

साइबर अपराध से बचाव के लिए पुलिस की अपील

बिलासपुर पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे साइबर ठगों के नए-नए तरीकों से सावधान रहें। पुलिस ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं:
– अनजान कॉल से सावधान रहें: किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स, खासकर इंश्योरेंस या निवेश से जुड़े ऑफर्स पर भरोसा न करें।
– व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: बैंकिंग जानकारी, ओटीपी, आधार कार्ड आदि किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
– शेयर मार्केट और अन्य निवेश के धोखे से बचें: जल्दी पैसे कमाने के झांसे में न आएं।
– फ़र्जी कॉल्स से बचाव: अगर कोई अनजान व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसे मांगता है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं।
– साइबर फ्रॉड की रिपोर्टिंग: किसी भी प्रकार की साइबर धोखाधड़ी की घटना होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 या https://cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

बिलासपुर पुलिस की यह कार्रवाई साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत कदम है। साइबर ठगी के मामलों में यह दिखाता है कि अपराधी कितने संगठित और तकनीकी रूप से कुशल हो सकते हैं। इसके साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि आम जनता सतर्क रहे और किसी भी प्रकार के अनजान और अविश्वसनीय ऑफर्स से बचे। पुलिस की यह पहल न केवल अपराधियों को पकड़ने में मददगार साबित होगी, बल्कि भविष्य में होने वाले साइबर अपराधों को रोकने में भी कारगर होगी।

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