ताज़ाख़बर36गढ़:- माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में एक और सनसनीखेज तथ्य सामने आया है। खाकी के हाथ वारदात का पूर्वांचल कनेक्शन लगा है। इससे यह शक पुख्ता हो रहा है कि वारदात का सूत्रधार पूर्वांचल का एक सफेदपोश ही है। कुख्यात सुनील राठी तो बस एक मोहरा है। पुलिस जांच के अनुसार 10 करोड़ रुपये की सुपारी लेकर बजरंगी को मौत के घाट उतारा गया है।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं, कुख्यात सुनील राठी पूर्वांचल में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता है। जांच रिपोर्ट की मानें तो, जेल में बजरंगी की हत्या से एक दिन पहले जौनपुर के एक बैंक से करीब सात करोड़ रुपयों का ट्रांजेक्शन हुआ है। तीन करोड़ रुपये वहीं के दूसरे बैंक से निकाले गए। इसलिए 10 करोड़ की सुपारी का जिक्र जांच में सामने आया है। पुलिस बैंक खातों की डिटेल निकलवा रही है।
जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुनील के पास काफी समय से उसकी अपनी पिस्टल थी। जब वह जेल में आया तो पिस्टल लेकर आया था। यह देशी है या विदेशी, फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा। जेल अधीक्षक (अतिरिक्त चार्ज) विपिन कुमार मिश्रा का का कहना है कि अभी इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। विवेचक इसे सुलझाने में लगे हैं।
फिलहाल पुलिस हर बिंदु पर जांच कर रही है। सीमा सिंह के आरोप पर भी गौर किया जा रहा है। उम्मीद है, जल्द घटना का राजफाश हो जाएगा। पुलिस बेहद नजदीक पहुंच चुकी है। -रामकुमार, आइजी-मेरठ।
माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या में एक पिस्टल का प्रयोग हुआ या दो का, यह राज अभी भी बरकरार है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि पुलिस को गटर से जो पिस्टल मिली है, वह .32 एमएम की है, इस पिस्टल की मैगजीन में न्यूनतम आठ गोली आती हैं। ऐसे में अगर आठ गोली वाली मैगजीन का प्रयोग किया गया है, तो यह आशंका प्रबल हो जाती है कि किसी दूसरी पिस्टल का भी प्रयोग किया गया होगा, क्योंकि मुन्ना बजरंगी के शव के पास से दस खोखे बरामद हुए थे।
इसका मतलब है कि पिस्टल से दस गोलियां चलाई गई होंगी, अब या तो मैगजीन बदली गई होगी, या फिर दो पिस्टल रही होंगी। जैसा कि सुनील राठी का कहना है कि मुन्ना बजरंगी के पास पिस्टल थी, ऐसे में यह जांच का अहम ङ्क्षबदु है कि पिस्टल सिर्फ मुन्ना बजरंगी या सुनील राठी के पास थी, या फिर दोनों के पास।
हत्या करने वाला राठी या कोई और भी?
जिस तरह से जेल के सेफ्टी टैंक से एक पिस्टल, दो मैगजीन और 22 कारतूस मिले हैं। इससे साफ पता चलता है कि वारदात में एक से अधिक पिस्टल का इस्तेमाल किया गया हैं, हालांकि अफसर अभी भी दावा कर रहे है कि वारदात में एक ही पिस्टल का इस्तेमाल हुआ हैं। झांसी जेल से अदालत में पेशी के लिए आए मुन्ना बजरंगी को आठ जुलाई की रात बागपत जेल में ठहराया गया था। अगले दिन सुबह कारागार की तन्हाई बैरक के पास ही गोलियों से भूनकर उसकी हत्या कर दी गई थी।
सूचना पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को मौके से गोली के दस खोखे बरामद हुए थे। जेल में बंद कुख्यात सुनील राठी ने हत्या करना स्वीकार करते हुए वारदात में प्रयुक्त पिस्टल को सेफ्टी टैंक में फेंकना बताया गया था। इसके लिए पुलिस ने जेल में ही सफाई मशीन मंगवाई थी और करीब 11.30 बजे टैंक की सफाई कराना शुरू कर दिया था। रात करीब 8 बजे से सेफ्टी टैंक से मैगजीन लगी पिस्टल मिली थी। इसमें पांच कारतूस थे। इसके अलावा लाल कलर की पॉलीथिन में 17 कारतूस और एक मैगजीन बरामद हुई थी। राठी ने देखकर कहा था कि यही वो पिस्टल है जिससे उसने मुन्ना बजरंगी का खून किया हैं।
हत्या में कुछ और लोगों के शामिल होंने की अाशंका
राठी ने अकेले ही इस पिस्टल से वारदात को अंजाम देने की बात कहीं थी, लेकिन जिस तरह से दो मैगजीन और इतनी संख्या में मिले कारतूस से पता चलता है कि इस घटना में और भी पिस्टल का इस्तेमाल किया गया है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि वारदात में कुछ और लोग भी शामिल रहे होंगे। हालांकि अफसर एक पिस्टल द्वारा ही हत्या किए जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही साफ हो सकेगी। उधर, एसपी जयप्रकाश का कहना है कि केस की विवेचना चल रही हैं। जल्द ही पूरे मामले का राजफाश कर दिया जाएगा। अभी तक जांच में एक पिस्टल का ही इस्तेमाल होना प्रतीत हो रहा हैं।
विदेशी नहीं, कंट्री मेड है पिस्टल
सेफ्टी टैंक से चुंबक की मदद से निकाली गई .32 बोर की पिस्टल विदेशी नहीं कंट्री मेड हैं। यह बिहार के मुंगेर की बनी प्रतीत हो रही है। यह जरूर है कि उस पर लामा लिखा हुआ है, लेकिन लिखावट से पता चलता है कि यह कंपनी से लिखा हुई नहीं है, बल्कि किसी ने गोदवाया है।
सेफ्टी टैंक ने खोला राज, मयखाना बनीं है जेल
कारागार के सेफ्टी टैंक ने जेल की व्यवस्थाओं की भी पोल खोल दी। उसमें भारी संख्या में शराब की खाली बोलते मिली हैं। इसके अलावा भी अन्य प्रतिबंधित सामग्री मिली हैं। इससे पता चलता है कि जेल में अपराधी ऐश-ओ आराम की ज़िन्दगी जीते हैं। जेल उनके लिए मयखाने से कम नहीं हैं, जहां पर बे-रोकटोक जाम छलकाते है और जश्न मनाते हैं।