बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। तखतपुर क्षेत्र के ग्राम पाली में एक पांच माह का मासूम लावारिस हालत में पाया गया, जिसे देखकर हर किसी का दिल कांप उठा।
जानकारी के अनुसार, बच्चा पूरी तरह अकेला था और भूख से बेहाल होकर बिलख रहा था। आसपास के ग्रामीणों ने जब मासूम की रोने की आवाज सुनी, तो पास जाकर देखा और उन्हें यह दृश्य देखने को मिला जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे। एक अबोध शिशु, जिसे अभी ममता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, खुले आसमान के नीचे बेसहारा पड़ा था।
स्थानीय ग्रामीण ने तत्काल मानवता का परिचय देते हुए नजदीकी जूनापारा पुलिस चौकी को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चे को अपनी अभिरक्षा में लिया। इसके बाद बच्चे को प्राथमिक स्वास्थ्य जांच के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा फिलहाल खतरे से बाहर है, लेकिन उसे काफी समय से दूध नहीं मिला था, जिससे वह बेहद कमजोर हो गया है।
फिलहाल पुलिस ने अज्ञात महिला या परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। गांव में यह चर्चा भी ज़ोर पकड़ रही है कि आखिर कौन सी मजबूरी रही होगी, जिसने एक मां को इतनी कठोरता के लिए विवश कर दिया?
ग्राम पाली में यह घटना ना सिर्फ एक मासूम की बेबसी की कहानी है, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े करती है—क्या आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव, या कोई और परिस्थिति एक मां को इतनी हद तक तोड़ सकती है कि वह अपने ही बच्चे को छोड़ दे?
स्थानीय लोगों की सराहना
इस घटना में ग्रामीण की संवेदनशीलता और तत्परता की सराहना की जा रही है, जिन्होंने न सिर्फ समय पर पुलिस को सूचित किया बल्कि बच्चे को तत्काल राहत भी दी। ऐसे उदाहरण समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देते हैं कि अभी भी इंसानियत जिंदा है।
सरकार और समाज से अपील
इस तरह की घटनाएं बार-बार यह ज़रूरत रेखांकित करती हैं कि समाज में अवांछित गर्भधारण, अविवाहित मातृत्व या पारिवारिक संकटों को लेकर परामर्श सेवाएं और सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाए।
आशा की जा रही है कि प्रशासन इस बच्चे के लिए उचित देखभाल और पुनर्वास की व्यवस्था करेगा, ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो सके। वहीं, पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि बच्चा कहां से लाया गया, और उसे लावारिस क्यों छोड़ा गया।