Sunday, July 27, 2025
Homeदेशसमोसा-जलेबी पर चेतावनी लेबल लगाने की खबरों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया...

समोसा-जलेबी पर चेतावनी लेबल लगाने की खबरों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया भ्रामक, कहा – पारंपरिक खाद्य संस्कृति को निशाना नहीं, बल्कि…

नई दिल्ली, 16 जुलाई 2025 – हाल ही में समोसा और जलेबी जैसे लोकप्रिय भारतीय व्यंजनों को लेकर उपजे विवाद और सोशल मीडिया पर गर्माती बहस के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उसने इन खाद्य उत्पादों पर कोई चेतावनी लेबल लगाने का निर्देश नहीं दिया है। मंत्रालय ने कहा कि उसकी ओर से जारी सलाह का उद्देश्य केवल लोगों में छिपी वसा (Hidden Fats) और अतिरिक्त चीनी (Added Sugar) के दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता बढ़ाना है, न कि किसी खास खाद्य संस्कृति या व्यंजन को निशाना बनाना।

क्या है विवाद की जड़?

दरअसल, 21 जून को स्वास्थ्य सचिव पुण्यसलिला श्रीवास्तव ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को एक पत्र भेजा था, जिसमें कार्यालयों में तेल और चीनी से संबंधित सूचना बोर्ड लगाने, स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा सभी सरकारी दस्तावेजों व प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संबंधी संदेश छापने की सलाह दी गई थी।

इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर अफवाहें फैल गईं कि सरकार समोसा और जलेबी जैसे स्ट्रीट फूड्स पर चेतावनी लेबल लगाने की तैयारी कर रही है। इसने आम लोगों से लेकर खाद्य विक्रेताओं तक में चिंता और भ्रम पैदा कर दिया।

मंत्रालय का स्पष्टीकरण

मंगलवार को जारी स्पष्टीकरण में स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कहा,

“यह सलाह सिर्फ छिपी वसा और अतिरिक्त चीनी के नुकसान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से दी गई है। इसे किसी भी खास खाद्य उत्पाद के खिलाफ चेतावनी लेबल के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।”

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह पहल भारतीय स्ट्रीट फूड या पारंपरिक व्यंजनों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य एक स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना और मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी गैर-संचारी बीमारियों (NCDs) से निपटना है।

क्यों ज़रूरी है यह चेतावनी?

लैंसेट के “ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज” (GBD) 2021 अध्ययन के अनुसार, भारत में मोटापा एक तेजी से बढ़ती समस्या बनता जा रहा है। 2021 में जहां भारत में 1.8 करोड़ मोटे वयस्क थे, वहीं 2050 तक इनकी संख्या 44.9 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यह भारत को मोटापे के वैश्विक बोझ वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बना सकता है।

आदतों पर ध्यान ज़रूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय का संदेश साफ है – यह किसी भी खास व्यंजन को बैन करने या लक्षित करने का प्रयास नहीं है। समोसा, जलेबी या अन्य पारंपरिक व्यंजन भारतीय संस्कृति और स्वाद का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन इनके अत्यधिक सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि लोग संयम बरतें, संतुलित आहार अपनाएं और सक्रिय जीवनशैली को अपनाएं।

spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!
Latest