बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला परिवहन लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बड़ी कानूनी जीत मिली है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस घोटाले में कुर्क की गई करीब 49.73 करोड़ रुपए की संपत्तियों के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने सुनाया है।
इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, रजनीश तिवारी, दिव्या तिवारी, सौम्या चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, मां शांति देवी और आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई सहित अन्य ने ED की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं।
ED ने कोयला परिवहन लेवी घोटाले में आर्थिक अनियमितताओं की जांच के तहत विभिन्न आरोपियों की 100 से अधिक चल-अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की थीं। इनमें बैंक बैलेंस, नगदी, कीमती गाड़ियां, सोना और अचल संपत्ति (जमीन-जायदाद) शामिल हैं। कुल कुर्क की गई संपत्तियों की अनुमानित कीमत 49.73 करोड़ रुपए बताई गई है।
इस कार्रवाई के खिलाफ आरोपियों ने यह कहते हुए याचिकाएं दाखिल की थीं कि ED की कुर्की नियम विरुद्ध है और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। हाईकोर्ट में इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की गई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिसे अब सुनाया गया है।
डिवीजन बेंच ने ED की कार्रवाई को कानूनसम्मत मानते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ईडी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अस्थायी कुर्की करने का पूरा अधिकार है, और यह कार्रवाई साक्ष्यों के आधार पर की गई थी।
इस फैसले के बाद अब ईडी को इन संपत्तियों को स्थायी रूप से जब्त करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही आरोपियों के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचता है।
यह फैसला न केवल कोयला घोटाले के आरोपियों के लिए बड़ा झटका है, बल्कि राज्य में चल रही ED की जांच की वैधता को भी मजबूत करता है।
कोयला लेवी घोटाला छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर कोयले के अवैध परिवहन और लेवी वसूली से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों की अवैध कमाई का आरोप है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका के तहत जांच शुरू की थी और दर्जनों प्रभावशाली लोगों के ठिकानों पर छापे मारकर कार्रवाई की थी।