बिलासपुर, सीपत — छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में हरेली त्योहार के दिन एक परिवार की खुशियों भरी यात्रा मातम में बदल गई। सीपत थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम खम्हरिया निवासी मोहनलाल साहू (उर्फ भोला), उम्र 29 वर्ष, अपनी पत्नी, बच्चों और रिश्तेदारों के साथ हरेली के दिन वेगनआर कार से ग्राम उच्चभट्ठी स्थित शिव शक्ति पीठ मंदिर दर्शन करने गए थे। लेकिन मंदिर से लौटते वक्त परिवार एक गंभीर हादसे का शिकार हो गया।
वापसी के दौरान झलमला के तुंगन नाला पर बने पुल पर लगभग तीन फीट पानी बह रहा था। पुल पार करते समय तेज बहाव में कार संतुलन खो बैठी और देखते ही देखते पानी में बह गई। कार में कुल 9 लोग सवार थे—चार बड़े और पांच बच्चे। हादसे के दौरान सभी लोग लगभग 60 फीट दूर तक पानी में बह गए। हालांकि, स्थानीय लोगों की मदद और खुद की जान जोखिम में डालते हुए अधिकांश सदस्य तैरकर बाहर निकल आए और चार बच्चों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
इस हादसे में मोहनलाल साहू का तीन वर्षीय बेटा तेजस पानी की तेज धारा में बह गया। उसके हाथ से पकड़ छूटते ही वह कार समेत बह गया और रात होने की वजह से उसका कोई सुराग नहीं मिल सका।
घटना की सूचना मिलते ही सीपत थाना प्रभारी टीआई गोपाल सतपथी पुलिस बल व स्थानीय युवाओं के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। अंधेरे और पानी के तेज बहाव के चलते बच्चे व कार का पता लगाना संभव नहीं हो सका। ग्रामीण युवकों ने भी तैरकर बच्चे को खोजने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
अब पुलिस ने SDRF (State Disaster Response Force) की टीम को मौके पर बुलाया है, जो सुबह से बच्चे और कार की तलाश में जुटी हुई है। पुलिस को आशंका है कि तेज बहाव के चलते कार और मासूम तेजस झलमला स्थित सेलर एनीकट, जो कि पुल से करीब 800 मीटर दूर है, तक बह गए होंगे।
फिलहाल मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। साहू परिवार अपने मासूम के इंतजार में सदमे में है।
इस दर्दनाक हादसे ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि बरसात के मौसम में बिना चेतावनी बोर्ड, बैरिकेड्स या पुलिस तैनाती के ऐसे पुलों को आम आवाजाही के लिए क्यों खुला छोड़ा जाता है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि तुंगन नाला पर अक्सर पानी का बहाव तेज रहता है, और इस मौसम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए थे।
अब सबकी नजरें SDRF की टीम पर टिकी हैं, जो मासूम तेजस की तलाश में लगी हुई है।