बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त निरीक्षक और एसआई स्तर के अधिकारियों को उनके हक का भुगतान समय पर न करने पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बिलासपुर, रजनेश सिंह को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
मामला 300 दिन के अवकाश नगदीकरण (लीव एनकैशमेंट) से संबंधित है, जिसे लेकर पूर्व सहायक उप निरीक्षक बैजनाथ राय, निरीक्षक रघुनंदन शर्मा, एएसआई हनुमान प्रसाद मिश्रा सहित कुल 33 सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी समान लाभ की मांग करते हुए भुगतान की गुहार लगाई थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में 29 जनवरी 2025 को सुनवाई के दौरान स्पष्ट निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन का फगुआ राम प्रकरण के आलोक में 90 दिनों के भीतर निराकरण कर, 300 दिन का अवकाश नगदीकरण भुगतान किया जाए। यह जिम्मेदारी बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई थी।
हालांकि तय समय सीमा बीतने के बाद भी न तो अभ्यावेदन का निराकरण हुआ और न ही भुगतान किया गया। इससे क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता धीरेन्द्र पांडेय और विजय मिश्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रविन्द्र अग्रवाल की एकलपीठ ने आदेश की अवहेलना मानते हुए एसएसपी बिलासपुर को कारण बताओ नोटिस (कॉन्सटेम्प्ट नोटिस) जारी किया है। अब एसएसपी को अदालत के समक्ष यह स्पष्ट करना होगा कि आदेश के पालन में लापरवाही क्यों की गई।
यह मामला राज्य प्रशासनिक व्यवस्था में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ हो रहे व्यवहार पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। ऐसे में आने वाले दिनों में इस मामले का असर अन्य लंबित मामलों और विभागीय कार्यशैली पर भी पड़ सकता है।