Monday, August 4, 2025
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तेंदुए की दस्तक से थमा कंकालिन गांव: वन्यजीव-मानव संघर्ष की गहराती तस्वीर…

बालोद, छत्तीसगढ़।
जिले के गुरूर परिक्षेत्र अंतर्गत कंकालिन गांव में सोमवार तड़के उस वक्त अफरातफरी मच गई जब एक जंगली तेंदुआ एक किसान की बाड़ी में घुस आया। यह घटना न केवल गांव वालों के लिए खौफनाक रही, बल्कि वन्यजीवों और मानव बस्तियों के बीच लगातार सिमटती दूरी की गंभीर चेतावनी भी बनकर उभरी है।

किसान बलराम गोटी की बाड़ी में मुर्गियों के शिकार की नीयत से घुसे तेंदुए ने जैसे ही बाड़े में कदम रखा, वह वहां लगे तारों में उलझ गया और फंस गया। देर रात करीब 2 बजे हुई इस घटना की भनक जैसे ही गांव वालों को लगी, पूरे इलाके में दहशत फैल गई। तेंदुए की गुर्राहट सुनकर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जुट गए। हालांकि, समय पर सूचना मिलने पर वन विभाग की स्थानीय टीम मौके पर पहुंच गई और तत्काल क्षेत्र की घेराबंदी कर दी।

वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को सतर्क करते हुए तेंदुए से दूरी बनाए रखने की सख्त हिदायत दी। मौके की नजाकत को देखते हुए रायपुर से विशेष रेस्क्यू टीम और पिंजरे की मांग की गई है। जब तक टीम मौके पर नहीं पहुंचती, वन विभाग की निगरानी में तेंदुए को फंसे हुए ही नियंत्रित रखा गया है।

वन विभाग का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन को शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जाएगा। योजना के अनुसार तेंदुए को बेहोश कर वापस जंगल में छोड़ा जाएगा, ताकि उसे या किसी इंसान को कोई नुकसान न हो।

यह घटना सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक संकट की तस्वीर है जिसमें जंगल और इंसानी बस्तियों के बीच की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं। जंगलों में भोजन की कमी, बढ़ती मानव आबादी और वन क्षेत्र का सिकुड़ना ऐसे कारक हैं जो जंगली जानवरों को इंसानी बस्तियों की ओर खींच रहे हैं। तेंदुए का गांव तक पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष अब सामान्य होता जा रहा है।

सरकार और वन विभाग को चाहिए कि ऐसे मामलों को केवल घटनाओं की तरह न लेकर, इसके पीछे के कारणों पर गहराई से विचार करें। वन क्षेत्रों की सुरक्षा, जैव विविधता का संरक्षण और मानव जनसंख्या का संतुलन – इन तीनों पर संयुक्त रणनीति बनाना समय की मांग है।

घटना के बाद से कंकालिन गांव में भय और बेचैनी का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे जानवरों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए स्थायी समाधान किया जाए। साथ ही जिन क्षेत्रों में पशुपालन या कृषि कार्य अधिक होता है, वहां रात के समय गश्त, लाइटिंग और प्राथमिक सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाएं।

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