(ताज़ाख़बर36गढ़) सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश को बरकरार रखते हुए पुणे के एक बिल्डर पर पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखकर निर्माण करने पर प्रोजेक्ट की कुल लागत का 10 फीसदी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना 100 करोड़ रुपये बैठ रहा है।
कोर्ट ने इस मामले में प्रोजेक्ट प्रोपोनेंट पर भी पांच करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। लेकिन, प्रोजेक्ट को गिराने का आदेश देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा, इस मामले में जिन लोगों ने फ्लैट और दुकानें ले ली हैं उनका नुकसान होगा। हालांकि कोर्ट अवैध निर्माण को वैध करने के खिलाफ है लेकिन इस केस में उसके सामने कोई विकल्प नहीं है।
जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने यह जुर्माना गंगा गोयल डेवलपर्स इंडिया प्रा. लि. पर लगाया है। बिल्डर ने पर्यावरण क्लीयरेंस का उल्लंघन कर निर्माण खड़ा कर दिया था। इसके अलावा उसने कई म्यूनिसिपल कानूनों का भी उल्लंघन किया था। बिल्डर के खिलाफ एक स्थानीय व्यक्ति तानाजी बालासाहेब गंभीरे ने एनजीटी में शिकायत की थी।
एनजीटी ने बिल्डर को पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाया और 20016 में उसे 100 करोड़ रुपये पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर जमा करने के आदेश दिया। साथ ही एनजीटी ने यह भी आदेश दिया था कि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव पर्यावरण प्रमुख सचिव के व्यवहार की जांच करें और उसकी रिपोर्ट एनजीटी में पेश करें। इस प्रोजेक्ट में 807 फलैट, 117 दुकान/ ऑफिस, सांस्कृतिक केंद्र और क्लब हाउस हैं।