बिलासपुर/ कांग्रेस का अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर से भरोसा उठ चुका है और अब से वह मायावती को लेकर ज़्यादा ही सावधानी बरतने के मूड में नज़र आ रही है. छत्तीसगढ़ के बाद अब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव में बीएसपी के बिना ही चुनाव में उतरने की तैयारी की है। इन राज्यों में पार्टी हाई कमान और स्थानीय लीडरशिप, दोनों ही ऐन मौके पर मायावती की मौकापरस्ती को लेकर अलर्ट हैं। कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी सोच-समझकर कदम उठा रही है।
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि मायावती ने कई तरह के दबाव के कारण ऐसा फैसला लिया. साथ ही कांग्रेस लीडरशिप को इस बात का भी भरोसा है कि मायावती के समर्थन के बिना भी इन तीनों राज्यों में वो चुनाव जीतने का दम रखती है. पिछली बार बीएसपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में 5 और 4.5 फीसदी वोट हासिल किए थे.
पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस आदिवासियों के बीच काम करने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) से भी दो राज्यों में गठबंधन को लेकर बात कर रही है। मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान एससी-एसटी ऐक्ट वाले प्रकरण के बाद बीजेपी की स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है इसका फायदा दूसरी पार्टियों को हो सकता है. उधर राजस्थान में कांग्रेस मान कर चल रही है कि उसकी जीत के चांस मजबूत हैं और छोटे दल असर नहीं डाल सकते।
छत्तीसगढ़ में पिछली बार बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में एक फीसदी (एक लाख से कम) से भी कम रहा था. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल का आरोप है कि सीबीआई और ईडी के दबाव के चलते मायावती कांग्रेस से बातचीत से पीछे हटीं हैं। कांग्रेस भले ही यह कहे की मायावती ने दवाब में आकर जोगी से गठबंधन किया है, लेकिन मायावती का पुराना रिकॉर्ड रहा है कि वो किसी के भी साथ ज़्यादा देर टिक नहीं पाती है और उन्हें अपना फायदा सबसे पहले नज़र आता है, ऐसे में अजीत जोगी के साथ भी माया का साथ कितने दिन टिक पाता है कहना मुश्किल है।