बिलासपुर। नगर निगम प्रशासन एक तरफ आग से सुरक्षा के लिए कोंचिंग सेंटरों में छापा मार रहा है तो दूसरी तरफ एक ऐसे काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति दे रखा है, जहां पहुंचने के लिए मात्र 15 फ़ीट चौड़ी सड़क है। इत्तेफाक से अगर इस कॉम्लेक्स में आग लग गई तो दमकल भी नहीं घुस पाएगी। ऐसे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग लगने पर कितने की जान और माल पर सामत आएगी।
जूना बिलासपुर हल्का के तेलीपारा रोड स्थित नरेश बाजार के पीछे 37 डिसीमल जमीन है। जमीन मुख्य सड़क से 100 मीटर लम्बी और साढ़े पन्द्रह फिट चौड़ी सड़क से जु़डी है। गली में घना बाजार है। सड़क को मिलन गली के नाम से भी जाना जाता है। जमीन किसी रमेशचन्द्र खूबनानी की है। रमेशचन्द्र खूबनानी का सम्बन्ध नरेश बाजार से है। जमीन नरेश बाजार के पीछे एक निश्चित लम्बाई में है। जानकारी यह भी है कि यह जमीन पहले आवासीय थी। लेकिन तीन पांच कर सेठों ने कमर्शियल मद में डायवर्ट करवा लिया। अब इस जमीन पर कमर्शियल काम्पलेक्स बनाया जा रहा है। यह जानते हुए भी कि जमीन बहुत अन्दर है। यहां कमर्शियल काम्पलेक्स बनाया जाना संभव ही नहीं है। कमर्शियल काम्पलेक्स निर्माण की कुछ अपनी शर्तें हैं। लेकिन सभी शर्तों को दरकिनार कर निगम प्रशासन ने निर्माण की अनुमति दी है।
कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि रसूख और रूपयों के आगे सब कुछ संभव है। आखिर निगम के लोग भी तो इंसान हैं। यह जानते हुए भी कि काम्पेल्क्स निर्माण की तमाम शर्तों में सुरक्षा के साथ निश्चित चौड़ाई में सड़क का भी होना जरूरी है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। मुख्य सड़क से खाली जमीन तक 100 मीटर और साढ़े पन्द्रह फिट की चौड़ाई सड़क है। दोनों तरफ घना बाजार है। ऐसी सूरत में खाली जमीन में काम्पलेक्स निर्माण की अनुमति हरगिज संभव नहीं है। यदि आवासीय जमीन को कामर्शियल उपयोग के लिए परिवर्तित किया गया है तो यह भी शासन के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।
खतरे में रहेगा काम्पलेक्स
शर्तों के अनुसार काम्पलेक्स निर्माण के समय सड़क का 40 फीट का चौड़ा होना बहुत जरूरी है। लेकिन यहां सड़क की चौड़ाई मात्र 15 फीट ही है। यदि काम्पलेक्स को बनाया जाता है तो हमेशा आगजनी या अन्य किसी प्रकार के हादसे के समय रेक्स्यू करने में परेशानी होगी। इस प्रकार का उदाहरण दिल्ली मुम्बई,रायपुर में ही नहीं बल्कि बिलासपुर में भी देखा जा चुका है। बावजूद इसके निगम प्रशासन आंख बन्द कर लोगों को खतरे में धकेलने से बाज नहीं आ रहा है। शायद इसकी वजह चन्द लाभ होना हो सकता है।
निगम अधिकारी ने कहा- हमें नहीं पता
मामले में जब अधीक्षण अभियन्ता के कार्यालय पहुंचकर जानने की कोशिश की गयी तो मौके से नदारद मिले। वहीं भवन शाखा के इंजीनियर गोपाल ठाकुर ने कहा कि इसकी हमें जानकारी नहीं है कि आखिर किस आधार पर काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। गोपाल ठाकुर ने कहा कि शायद प्रपोजल में बीस फीट चौड़ी सड़क होगी। इसके बाद उन्होने अपने आप को तत्काल संभालते हुए कहा कि बीस फीट सड़क आवासीय निर्माण में होता है। यहां काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। इसकी जानकारी फिलहाल उन्हें नहीं है। शायद जमीन मालिक ने टीएनसी से अप्रुव्ह कराया होगा।
गोपाल ठाकुर ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है कि वहां क्या हो रहा है। लेकिन सूत्रों की माने तो गोपाल ठाकुर को ना केवल इसकी जानकारी है। बल्कि जमीन और निर्माण के दस्तावेज भी उनके पास है।
आयुक्त को बैठक से फुर्सत नहीं
इस मामले में पक्ष जानने के लिए निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होने ना तो फोन उठाया और ना ही मैसेज का जवाब ही दिया। हर बार पाया गया कि साहब बैठक में है। बहरहाल काम्पलेक्स निर्माण के लिए नियमो को ताक पर रख अनुमति दी गयी। आयुक्त को इस बात की जानकारी नहीं होगी…फिलहाल कहना मुश्किल है।
इंजीनियर ने कहा- करेंगे निरीक्षण
भवन शाखा इंजीनियर गोपाल ठाकुर ने कहा कि हम मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे…पता लगाएंगे कि आखिर नियमों के साथ छेड़छाड़ क्यों हो रही है। शर्तों के उल्लंघन होने पर कार्रवाई भी करेंगे। मामले को आयुक्त के सामने भी लाएंगे। फिलहाल इस बयान के बाद समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर फाइल होने के बाद भी इंजीनियर को इसकी जानकारी क्यों नहीं है। क्योंकि निरीक्षण करने से लेकर अप्रुब्ड के खेल में इंजीनियर की भूमिका अहम होती है।
बताते चलें कि चालिस फीट से चन्द फीट कम चौड़ी सड़क होने की वजह से सिटी सेन्टर को सालों साल पापड़ बेलने पड़े है। अब देखना होगा कि यहां क्या होता है..जहां चालिस फीट की वजाय सड़क की चौ़ेड़ाई मात्र सा़ढ़े पन्द्रह फीट है।