प्रतिबंधित हथियार मिलना आर्म्स ऐक्ट का आधार नहीं
ताज़ाख़बर36गढ़- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी वाहन में अवैध हथियार मिलते हैं तो वाहन मालिक पर सीधे आर्म्स ऐक्ट में मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। पुलिस को यह साबित करना जरूरी है कि बरामद हथियार की मालिक को जानकारी थी। जस्टिस एस.ए. बोब्डे और एल. नागेश्वर राव की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए आर्म्स ऐक्ट के तहत दंडित अहमदाबाद निवासी रहीम शेख को बरी कर दिया। उसे सात वर्ष की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने इस मामले में एक बंगले के मालिक को भी रिहा कर दिया जो अभियुक्त के मुताबिक बंगले में हथियार रखे था। हालांकि जब इस व्यक्ति के बंगले पर छापा मारा गया, वह जेल में था। कोर्ट के अनुसार, अभियुक्त दोषी तब माना जाता, जब उसे पता होता कि उसके बंगले में हथियार रखे थे।
अहमदाबाद पुलिस ने 1993 में कार में .45 बोर की एलवी लंदन मार्का वाली छह गोलियां बरामद की थीं। ये गोलियां .45 बोर की रिवाल्वर में प्रयोग की जानी थीं जो प्रतिबंधित बोर है।
दोष साबित करना जरूरी
कोर्ट ने कहा, धारा 35 ए के तहत तब तक आरोपित नहीं किया जा सकता जब तक यह दर्शाया न जाए कि मालिक को गाड़ी में प्रतिबंधित हथियार होने की जानकारी थी। पीठ ने कहा, हम यह नहीं कहते कि आग्नेयास्त्र के दूर स्थान पर होने व दूर स्थान पर की गई रिकवरी अभियुक्त को छोड़ने का आधार बनेगी। लेकिन जानकारी होने की बात साबित करना जरूरी है।