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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री को लिखा पत्र: खदानों से उद्योगों को आयरन ओर रियायती दर पर सुगमता से उपलब्ध कराने का किया आग्रह…

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय इस्पात धर्मेन्द्र प्रधान को छत्तीसगढ़ के लौह खनिज आधारित लघु उद्योगों और स्पंज आयरन उद्योगों को एनएमडीसी की प्रदेश में संचालित लौह अयस्क की खदानों से आयरन ओर रियायती दर पर सुगमता से उपलब्ध कराने के संबंध में पत्र लिखा है। बघेल ने केन्द्रीय इस्पात मंत्री से इस वर्ष जनवरी माह में एनएमडीसी द्वारा लौह अयस्क के मूल्य में की गई वृद्धि तत्काल प्रभाव से वापस लेने और छत्तीसगढ़ के लौह खनिज आधारित लघु उद्योगों और स्पंज आयरन उद्योगों के हित में उचित दीर्घकालिक रियायती दर निर्धारित करने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि मुझे स्पंज आयरन ओर एसोसिएशन के माध्यम से अवगत कराया गया है कि एनएमडीसी द्वारा खनिज आयरन ओर लम्प (डीआरसीएलओ) के 3 जनवरी 2020 से पूर्व लागू दर के बेसिक मूल्य में प्रति टन 230 रूपए की वृद्धि की गई है। इसके बाद पुनः 22 जनवरी 2020 को एनएमडीसी के द्वारा खनिज आयरन ओर लम्प (डीआरसीएलओ) के मूल्य में 470 रूपए प्रति टन की वृद्धि की गई है। इस प्रकार विगत मात्र 16 दिनों में खनिज आयरन ओर लम्प (डीआरसीएलओ) के बेसिक मूल्य में 700 रूपए की वृद्धि की गई है। इस मूल्य के आधार पर खनिज की रायल्टी एवं अन्य कर को मिलाकर आयरन ओर की कीमत में कुल 875 रूपए प्रति टन की वृद्धि हो गई है। इस वृहद स्वरूप की मूल्य वृद्धि के कारण उत्पादित इस्पात के मूल्य में 2000 रूपए प्रति टन की वृद्धि हो रही है।

बघेल ने पत्र में यह भी लिखा है कि पिछले एक महीने में स्टील की कीमतों में वृद्धि हुई है, लेकिन पहले से ही उत्पादन की लागत में वृद्धि हुई थी। स्टील की कीमत में बढ़ोत्तरी उद्योगों के लिए राहत का विषय था, किन्तु एनएमडीसी द्वारा आयरन ओर की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि के बाद एनएमडीसी की खदानों से आयरन ओर प्राप्त करने में प्रदेश के स्पंज आयरन तथा स्टील उद्योगों के संचालन में वृहद कठिनाई तथा इस्पात के उत्पादन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। जबकि एनएमडीसी द्वारा अपनी खदानों में क्षमता के अनुसार अधिकतम उत्पादन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री प्रधान को पत्र में लिखा है कि राज्य शासन द्वारा विगत माह में दक्षित बस्तर दंतेवाड़ा जिले में एनएमडीसी की 4 आयरन ओर खदानों की लीज 20 वर्ष की अवधि विस्तार के आदेश जारी किए गए हैं। जिसमें यह शर्त उल्लेखित है कि ‘एनएमडीसी द्वारा राज्य में संचालित लौह अयस्क आधारित उद्योगों को उनके आवश्यकतानुसार लौह अयस्क की आपूर्ति निरंतर बनाई रखी जानी होगी।’’ उक्त शर्त की पूर्ति तभी संभव हो पाएगी जब एनएमडीसी द्वारा दीर्घकालिक उचित रियायती दर का निर्धारण होगा।

बघेल ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न खनिजों के अकूत भण्डार विद्यमान हैं, जिनमें से आयरन ओर एक प्रमुख खनिज है। विश्व स्तर की खनिज आयरन ओर की खदानें राज्य के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में हैं, जहां एनएमडीसी की कुल 5 व्यवसायिक खदानें संचालित हैं। प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में खनिज आयरन ओर आधारित लघु एवं स्पंज आयरन संयंत्र संचालित हैं, जिसे एनएमडीसी की अपर्युक्त लौह अयस्क खदानों से लौह अयस्क रियायती दर पर क्रय किया जाता है। प्रदेश में स्पंज आयरन एसोसिएशन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इण्डस्ट्री (सीआईआई) द्वारा राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के माध्यम से प्रदेश में संचालित स्पंज आयरन उद्योगों को सुगमता से संचालन हेतु आधारभूत आवश्यकता के अनुसार आयरन ओर उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर लिखा गया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में केन्द्रीय मंत्री को बताया है कि राज्य शासन द्वारा इस संबंध में 11 जुलाई 2019 को अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, एनएमडीसी लिमिटेड को पत्र प्रेषित कर राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के माध्यम से प्राप्त प्रस्ताव के परिप्रेक्ष्य में खनिज आयरन ओर को सुगमता से रियायती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए आग्रह किया गया है। जिसके परिप्रेक्ष्य में एनएमडीसी ने 25 सितम्बर 2019 के पत्र में छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक इकाईयों के लिए खनिज आयरन ओर की दर में जून 2019 से 13 प्रतिशत कमी किए जाने एवं मांग के अनुसार स्पंज आयरन ओर (डीआरसीएलओ) छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक इकाईयों को प्राथमिकता से आपूर्ति किए जाने तथा स्पंज आयरन उद्योगों में सीधे उपयोग हेतु आयरन ओर उपलब्ध कराने के संबंध में लिखा है।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री ने अनुरोध किया है कि प्रदेश की एनएमडीसी की खदानों से छत्तीसगढ़ राज्य में लौह अयस्क आधारित उद्योगों और स्पंज आयरन उद्योगों को रियायती दर पर आवश्यकतानुसार लौह अयस्क उपलब्ध कराने के लिए 20 जनवरी 2020 को की गई मूल्य वृद्धि को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए तथा उचित दीर्घकालिक रियायती दर निर्धारित कर लौह अयस्क की आपूर्ति हेतु विशेष पहल करते हुए समुचित कार्यवाही की जाए।

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