छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है, लेकिन अभी तक यह राजकाज की भाषा नहीं बन पाई है। इसके प्रति चेतना जगाने के प्रयास किए जा रहे है। ये बातें छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के प्रांतीय संयोजक श्री नन्द किशोर शुक्ल ने प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों से कही
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शासन से सहयोग नहीं मिल पाने के कारण छत्तीसगढ़ी का विकास नहीं हो पाया।
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि संविधान के भाग 17 के अध्याय 4 के अनुच्छेद 350 क द्वारा मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना हमारा अधिकार है राष्ट्रीय शिक्षा नीति निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 समस्त शिक्षा आयोग विज्ञानिक अनुसंधान और न्यायालयलीन निर्णय पर मातृभाषा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा दिए जाने के पक्ष में हमारी संस्था कार्य कर रही है।
भारत के अधिकांश राज्यों मैं वहां सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान पर आ चुकी है इसमें से कुछ ऐसी भाषाएं भी हैं जिनके राज्यों का क्षेत्रफल छत्तीसगढ़ से काफी छोटा है छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 135194 किलोमीटर है जबकि मलयालम भाषी केरल तमिल भाषी तमिलनाडु बांग्ला भाषी पश्चिम बंगाल असमिया भाषा असम अनुसूची में दर्ज ऐसी कई भाषाएं भी हैं जो राजभाषा नहीं है ।जैसे बोड़ो,मैथिली भाषा। जबकि देवनगरी छत्तीसगढ़ी तो छत्तीसगढ़ की संविधानिक राजभाषा है
इस दिशा में सभी राजनैतिक दल भी उदासीन है सत्ता पक्ष और विपक्ष के उदासीन रवैया के कारण देश की सबसे बड़ी पंचायत केंद्र की राजधानी दिल्ली में छत्तीसगढ़ की छत्तीसगढ़ी मातृभाषा सभी मातृभाषाओं में पढ़ाई लिखाई और माध्यम बनाने के लिए छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच और छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल छत्तीसगढ़ी सहित छत्तीसगढ़ की सभी मातृभाषाओं में प्राथमिक शिक्षा तथा राजभाषा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए 19 जुलाई 2017 बुधवार को दिल्ली जंतर मंतर में सत्याग्रह करेगा।