जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं उठाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय किया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर स्वामिनाथन समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किये जाने का आरोप भी लगाया.
अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए अगस्त 2011 में रामलीला मैदान और पूरे देश में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन को देखते हुए संसद ने सदन की भावना के अनुरूप प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के साथ सिटिजन चार्टर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था. इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद मैंने 28 अगस्त को अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.
हजारे ने पत्र में कहा कि इस घटना के छह साल गुजर जाने के बाद भी भ्रष्टाचार को रोकने वाले एक भी कानून पर अमल नहीं हो पाया है. इससे व्यथित होकर आपको (प्रधानमंत्री) खत भेजा है. पिछले तीन सालों में लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के संबंध में अगस्त 2014, जनवरी 2015, जनवरी 2016, जनवरी 2017 और मार्च 2017 में भी हमने लगातार खत भेजे लेकिन आपकी तरफ से कार्रवाई के तौर पर कोई जवाब नहीं आया.
उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रहे आपकी पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस कानून को पूरा समर्थन दिया था. देश की जनता ने इसके बाद 2014 में बड़ी उम्मीद के साथ नई सरकार को चुना. आपने (प्रधानमंत्री मोदी) देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण की प्राथमिकता का आश्वासन दिया था. लेकिन आज भी जनता का काम पैसे दिए बिना नहीं हो रहा है. जनता के जीवन से जुड़े प्रश्नों पर भ्रष्टाचार बिल्कुल कम नहीं हुआ है. लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल होने से 50 से 60 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा है. तीन साल से नियुक्ति नहीं हो रही है.