गुरुवार को विशेष टाडा अदालत ने मुम्बई के 1993 के श्रंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपियों को कड़ी सजा सुनाई। आरोपी ताहिर मर्चेंट को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि अबु सलेम को 2 लाख रुपए के जुर्माना के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषियों में अबू सलेम, मोहम्मद दौसा, मुस्तफा दौसा, करीमुल्ला शेख और अब्दुल रशीद खान शामिल हैं।
इससे पहले टाडा कोर्ट ने इन सभी को इस वर्ष 16 जून को दोषी ठहराया था। मुस्तफा दौसा की दोषी करार दिए जाने के बाद 28 जून को मौत हो गई थी। इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था। सरकारी पक्ष ने इनमे से तीन को फांसी की सजा और दो को आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी।
अबु सलेम यूं तो साजिश की धारा 120बी और हत्या के तहत दोषी पाया गया है, ऐसे में मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन अबु सलेम को पुर्तगाल से सशर्त लाया गया है कि उसे 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती। सीबीआई के विशेष सरकारी वकील दीपक साल्वी ने भी उसके लिए मौत की सजा की मांग ना करते हुए अधिक से अधिक सजा की मांग की है।