बिलासपुर,,चेक के जरिए मिली राशि को खाते में जमा करने के बाद खातेदार से पूछे बिना ही दूसरे खातेदार को वापस करने के मामले में पुलिस ने सिंडिकेट बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक, मैनेजर व कर्मचारी के साथ ही रेलवे ठेकेदार के खिलाफ धोखाधड़ी व अमानत में खयानत का अपराध दर्ज कर लिया है। खाते में जमा राशि वापस होने से परेशान रेलवे ठेकेदार ने पुलिस अफसरों से शिकायत थी। पुलिस ने जांच के बाद यह कार्रवाई की है।
तारबाहर थाना क्षेत्र के विनोबानगर निवासी अमरकुमार अग्रवाल पिता घनश्याम दास अग्रवाल (38) रेलवे में सप्लायर व कन्सट्रक्शन ठेकेदार हैं। उन्होंने सीएसपी शलभ सिन्हा से लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि रेलवे के ट्रांसपोर्टर व तिरुपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपाइटर रमेश सिंह से उसकी दोस्ती थी। रमेश सिंह ने टाटा ट्रेलर क्रमांक सीजी 10 सी 7932 खरीदी करने 10 अक्टूबर 2012 को उससे 7 लाख 50 हजार रुपए उधार लिया था। इस राशि को लौटाने के लिए रमेश सिंह ने 3 मार्च 2016 को तिरुपति कंस्ट्रक्शन फर्म का चेक दिया था। उक्त चेक सिंडिकेट बैंक दयालबंद शाखा का था। उसी बैंक में अमर कुमार का भी खाता है। लिहाजा चेक से दी गई राशि को अपने खाते में जमा कराने के लिए उन्होंने उसी दिन चेक जमा कराया। सुबह 11.26 बजे चेक की राशि उनके खाते में जमा हो गई। लेकिन बाद में उक्त राशि को निकालने के लिए 5 मार्च को वे बैंक पहुंचे तब बैंक प्रबंधक व कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि उनके खाते में जमा राशि को स्टाप पेमेंट के जरिए रोक दी गई है। अपने खाते में जमा राशि को बिना सहमति के वापस करने को लेकर उन्होंने सवाल-जवाब भी किया। लेकिन बैंक प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया। अमर कुमार का आरोप है कि सिंडिकेट बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र सिंह, मैनेजर लिनूस एक्का, लिपिक सरोज लकड़ा ने रमेश सिंह को लाभ पहुंचाने के लिए षड़यंत्र किया है और उनके खाते में जमा राशि को अवैधानिक तरीके से रमेश सिंह के खाते में जमा करा दिया है। नियमानुसार जमा राशि वापस करने से पहले उनकी सहमति लेनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। कोतवाली टीआई रघुनंदनप्रसाद शर्मा ने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान बैंक को नोटिस जारी कर दस्तावेज उपलब्ध कराने कहा गया। जांच के बाद पुलिस ने तत्कालीन बैंक अफसरों के साथ ही रेलवे ठेकेदार के खिलाफ धारा 420, 409, 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।