पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने एयरसेल मैक्सिस सौदे मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो पर उनके पुत्र कार्ति चिदम्बरम को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है।
कार्ति को सीबीआई ने इस मामले में पूछताछ के लिए गुरुवार को बुलाया था, किन्तु वह हाजिर नहीं हुए थे। कार्ति ने पेश होने से इनकार करते हुए कहा था कि विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था और इस मामले में जांच निलंबित कर दी थी जबकि दूसरी तरफ सीबीआई ने कार्ति के इस दावे को पूरी तरह इनकार करते हुए कहा कि जांच अभी चल रही है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने शुक्रवार को कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि सीबीआई को उनके पुत्र को प्रताडि़त करने की बजाय उनसे पूछताछ करनी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई इस मामलें में गलत सूचना फैला रही है। एयरसेल मैक्सिस विदेशी निवेश सौदे को चिदम्बरम के वित्त मंत्री रहते हुए 2006 में स्वीकृति दी गई थी।
चिदम्बरम ने एक ट्वीट में कहा विदेशी निवेश संवद्र्धन बोर्ड ने एयरसेल मैक्सिस की सफारिश की थी और मैंने मिनट्स मंजूर किए थे। जांच एजेंसी मुझ से पूछताछ करे और कार्ति को प्रताडि़त नहीं किया जाना चाहिए। एक अन्य ट््वीट में उन्होंने लिखा दु:ख की बात है कि जांच एजेंसी गलत जानकारी दे रही है।
इस सौदे में बोर्ड के अधिकारियों ने सीबीआई के समक्ष अपने बयान रिकार्ड कराते हुए कहा कि मंजूरी वैध तरीके से दी गई है।
इस मामले में सीबीआई ने विशेष अदालत के समक्ष दाखिल चार्ज शीट में कहा है कि मॉरीशस की ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग लिमिटेड जो कि मैक्सिस की सहायक इकाई है। उसने 80 करोड डॉलर (उस समय की विनियम दर के अनुसार जो करीब 5127 करोड़ रुपए बैठता है) निवेश की अनुमति मांगी थी।
इस सौदे को मंजूरी देने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति सक्षम थी। आरोप पत्र में कहा गया है कि किन्तु मंजूरी उस समय के वित्त मंत्री ने दी थी। इस मामले में और जांच करने पर पाया गया कि बोर्ड की मंजूरी उस समय के वित्त मंत्री ने दी थी। इस मामले की भी जांच की जा रही है। गौरतलब है कि सीबीआई 2014 में इस मामले में पी. चिदम्बरम से पूछताछ कर चुकी है।