ऑनलाइन कस्टमर्स के लिए केंद्र ने 1 जनवरी से ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सभी प्रॉडक्ट्स पर MRP लिखने को जरूरी कर दिया है. इसके अलावा ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रॉडक्ट्स पर दूसरी सूचनाओं जैसे एक्सपायरी डेट और कस्टमर केयर का भी ब्योरा देना होगा. इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पैकेटबंद सामग्री नियम में जून, 2017 में संशोधन किया था.
कंपनियों को दिया गया था 6 महीने का वक्त
इन सारे नियमों को ठीक से लागू करने के लिए ऑनलाइन कंपनियों को 6 महीने का वक्त दिया गया था. मंत्रालय ने बयान में कहा है कि पैकेटबंद सामग्री नियम, 2011 में संशोधन उपभोक्ताओं के हित और कारोबार में सहूलियत के लिए किया गया है.
ये 1 जनवरी, 2018 से लागू हो गया है. संशोधनों के तहत सामान बेचने वाले ई-कामर्स प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले सामान पर नियमों के तहत ब्योरा देना होगा. MRP के अलावा कंपनियों को विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी डेट, शुद्ध मात्रा, देश और कस्टमर केयर का ब्योरा देना होगा.
छापे गए शब्दों और अंकों का आकार
मंत्रालय ने कहा कि इस घोषणा के लिए छापे जाने वाले शब्दों और अंकों का आकार बढ़ाया गया है, जिससे कस्टमर्स को उन्हें पढ़ने में आसानी हो. कोई भी शख्स एक जैसे पैकेटबंद सामान के लिए अलग-अलग MRP की घोषणा नहीं कर सकता. इसके अलावा सरकार ने शुद्ध मात्रा की जांच को अधिक वैज्ञानिक बनाया है. वहीं बारकोड-क्यूआर कोडिंग की अनुमति स्वैच्छिक आधार पर दी गई है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसे मेडिकल प्रोड्क्ट्स जिन्हें दवाई के रुप में माना गया है उन्हें भी इन नियमों के दायरे में लाया गया है.
क्यों उठाया गया कदम?
अभी तक ऑनलाइन बेचे जाने वाले सामान पर सिर्फ MRP ही छपा होता था. मंत्रालय को ऑनलाइन बेचे जाने वाले उत्पादों के पैकेट पर समुचित सूचनाएं नहीं होने की काफी शिकायतें मिली थीं, जिसके मद्देनजर ये कदम उठाया गया है. देश में काम कर रही अहम ई-कामर्स कंपनियों में फ्लिपकार्ट, अमेजन इंडिया, स्नैपडील, ग्रोफर्स और बिगबास्केट शामिल हैं.