रायपुर। अपने क्रियाकलापों को लेकर अक्सर विवाद में रहने वाले अंबेडकर अस्पताल शुक्रवार को डॉक्टरों की दुर्व्यवहार का मामला सामने आया। मंदबुद्धि के बच्चों की रुटीन चेकप कराने पहुंची वार्डन के साथ ओपीडी 135 में मौजूद डॉक्टर भिड़ गए। गुस्से से तमतमाए चिकित्सक ने मरीजों से भरे वार्ड में एक-के बाद एक कई नसीहतें देते हुए, बच्चियों और वार्डन को फटकार लगाई। डॉक्टर के फटकार से बच्चियां सिसकती रही और डॉक्टर फटकारते रहे। गौरतलब है कि कोटा स्थित मंदबुद्धि आश्रम से एक दर्जन बच्चे वार्डन के साथ पुराने रिपोर्ट को लेकर रुटीन चेकप को पहुंचे थे। बच्चे अपने ग्रुप में थे, ओपीडी के अंदर पहुंचने पर ही चिकित्सक तमातमा गए। बच्चों को बाहर रखने की सलाह दी। बच्चों के साथ पहुंची वार्डन व भृत्य बच्चों को लेकर गेट के बाहर एक कोने पहुंच गया। घंटों इंतजार के बाद भी जब ओपीडी में उन्हें नहीं बुलाया गया तो, वार्डन पूनम साहू चिकित्सक को बच्चों की स्थिति से अवगत कराते हुए इलाज में देरी से बच्चों की बिगड़ रही मानसिक स्थिति के चलते रुटीन चेकप करने की अपील की। इस पर चिकित्सक भड़क उठे। उन्होंने सबके बीच में वार्डन को खरी-खोटी सुना दी। मैडम को फटकारते देख बच्चियां भी सिसकने लगी, लेकिन चिकित्सक नहीं पसीजे, और बाहर निकल जाने कहा। दुर्व्यवहार से दु:खी वार्डन रो पड़ी और इसकी शिकायत स्वास्थ्य सचिव और मंत्री से करने की चेतावनी दी।
अक्सर इनका ऐसा ही रहता है बर्ताव
अंबेडकर पहुंची वार्डन रेखा साहू ने कहा कि वार्ड 135 के ओपीडी में मौजूद चिकित्सक का बर्ताव ऐसा ही रहता है। लेकिन आज जिस तरह कई मरीजों के बीच में बेवजह फटकार लगाई वो ठीक नहीं था। मंद बुद्धि के बच्चे कब उत्तेजित हो जाएं, इसकी चिंता हमें रहती है, क्यों कि हम सामान्य मरीजों और परिजनों के बीच लाते हैं। कभी-कभी अधिक समय तक एक ही स्थान पर रोके रहने से बच्चे हाईपर हो जाते हैं। इसलिए पूनम ने चिकित्सक के पास जाकर कोई गुनाह नहीं किया।
आवाक रह गई
डॉक्टर के दुर्व्यवहार की शिकार पूनम साहू ने कहा कि वो अक्सर बच्चों के साथ आतीं है, चिकित्सक का आज का व्यवहार अन्य दिनों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही खराब था। उन्होंने मरीजों के बीच फटकारा जो गलत था, इससे बच्चियां कभी भी हाईपर हो सकती थीं। डॉक्टर के इस रवैये से मुझे अपनी चिंता कम अस्पताल में इलाज को आए अन्य लोगों की ज्यादा थी। यदि बच्चे हाईपर हो जाते तो उन्हें संभालना मुश्किल था। वो चिकित्सक पर भी हमला कर सकतीं थी। मगर हमने तत्काल वहां से उन्हें हटा लिया।
हर चीज के लिए लाइन
इलाज में लापरवाही
वहीं एक दूसरे मामले में अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई है। अस्पताल में बालोद जिला से इलाज कराने पहुंची महिला कुंवरिया बाई को 15 दिनों में एक भी बार जांच नहीं की गई। 6 माह की गर्भवती महिला के पेट मे पानी आ जाने की शिकायत थी। परंतु पानी निकालने के लिए चिकित्सक आज कल कहकर 15 दिन गुजार दिए। लेकिन उपचार नहीं किया जा सका। पीड़िता के साथ उसकी 15 साल की बेटी साथ है। पीड़िता के पति की तीन माह पहले ही मृत्यु हो चुकी है। पीड़िता की बेटी हुलेश विश्वकर्मा साए की तरह मां के साथ इलाज कराने धक्के खा रही है। हुलेश कई बार डॉक्टरों अस्पताल से छुट्टी देने की अपील की है। हुलेश ने बताया कि डॉक्टर की सूरत नहीं देखी, मेडिकल छात्र आते हैं, पूछकर चले जाते हैं। नर्स एक दो बार ही आर्इं। मगर डॉक्टरों ने मां के पेट से पानी नहीं निकाली। न दवाई का पता है, न इलाज का कागज, बेटी के साथ रह रही हूं, उसकी भी चिंता सता रही है।
बैट्रीकार बनी शोपीस
अस्पताल में कहने के लिए तो 3 बैट्रीकारें नजर आई पर उसमें से एक भी बैट्रीकार का चालक वहां मौजूद नहीं था, दोपहर 1 बज रहे थे, पीड़ित मरीज कार के चालकों का चक्कर लगा-लगाकर थक गए। संजय नगर से रोशन बी., मो अरमान ने कहा कि घंटे भर से ढंूढ रहा हूं। पर कोई नजर नहीं आया। ऐसे में बुजुर्गों का दम सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते फूल रहा है। गरियाबंद जिले से पहुंची श्रीमती सुनैना ने बताया कि दमा से पीड़ित हूं, चल नहीं पाती। अस्पताल में बैट्री कार तो थी मगर चालक उपस्थित नहीं होने के कारण मुझे स्लाइड से चढ़कर जाना पड़ा। फिर घंटों भर परेशान रहीं। वह तो गनीमत था कि मेरे पास इनहेलर था वर्ना मेरी समाधि यहीं बन जाती।