बिलासपुर। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष ने एक बार फिर से अपने आदेश को पलटकर विकास गुरुद्वान को प्रभारी सीईओ बना दिया है। यही नहीं सीईओ चेंबर में ताले पर एक और ताला जड़वा दिया गया है। इसके साथ ही यहां वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर शुरू हो गई है।
कोर्ट से केस जीतकर जब से मुन्नालाल राजवाड़े ने जब से जिला सहकारी बैंक में अध्यक्ष का पदभार संभाला है, तब पुराने सीईओ अभिषेक तिवारी और उनके बीच खाई गहराते जा रही है। अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद राजवाड़े ने 20 दिसंबर को एक आदेश निकालकर सीईओ तिवारी को पदभार से मुक्त कर दिया था। उनका प्रभार सुनील कुमार वर्मा को दिया गया था, लेकिन उन्होंने पदभार लेने से इनकार कर दिया। अलबत्ता, 6 जनवरी को अध्यक्ष राजवाड़े ने एक अन्य आदेश निकालकर गुरुद्वान को सीईओ का अतिरिक्त प्रभार दिया। इसके विरोध में 8 जनवरी को बैंक के कर्मचारी लामबंद हो गए थे। उन्होंने अध्यक्ष के चेंबर धरना दे दिया था। कर्मचारी तब तक सीईओ के चेंबर में धरने पर बैठे रहे, जब तक अध्यक्ष ने अपना आदेश नहीं ले लिया। आदेश वापस लेते ही सीईओ तिवारी को फिर से प्रभार मिल गया था। इस बीच वे दफ्तर आ रहे थे। इधर, सोमवार को एक और राजनीतिक घटना घट गई। सुबह अध्यक्ष राजवाड़े बैंक पहुंचे और गुरुद्वान को फोन कर बुलावा। गुरुद्वान के आते ही अध्यक्ष ने उन्हें एक नया आदेश थमाते हुए कहा कि अब से सीईओ का अतिरिक्ति चार्ज उनके पास है। दूसरी ओर सीईओ तिवारी दफ्तर नहीं पहुंचे थे। अध्यक्ष ने चपरासी से सीईओ के चेंबर में लगे ताले को खोलने को कहा, लेकिन चपरासी ने चॉबी नहीं होने की बात कही तो अध्यक्ष ने दूसरा ताला मंगवाकर और लगवा दिया। इस मामले में पक्ष जानने के लिए सीईओ तिवारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला।
अध्यक्ष ने दिया है प्रभार
इस मामले में गुरुद्वान का कहना है कि सुबह उन्हें फोन कर अध्यक्ष ने बैंक बुलाया। यहां आने पर उन्हें एक आदेश दिया गया है, जिसमें अतिरिक्त सीईओ की जिम्मेदारी लेने का उल्लेख है। अध्यक्ष के आदेश पर मैंने प्रभार ले लिया है। आदेश में लिखा गया है कि जब तक कोई नियमित सीईओ की नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक गुरुद्वान अतिरिक्त प्रभार पर रहेंगे।
अध्यक्ष की हैसियत जारी किया आदेश
जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजवाड़े का कहना है कि 8 जनवरी को कर्मचारियों के दबाव में आकर मैंने आदेश निरस्त किया था। इसमें संचालक मंडल की कोई सहमति नहीं थी। संचालक मंडल ने पहले ही सीईओ तिवारी को हटाने का प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए 8 जनवरी को जो आदेश मैंने जारी किया था, उसे अध्यक्ष की हैसियत निरस्त किया है। अब गुरुद्वान ही सीईओ के अतिरिक्त प्रभार पर रहेंगे। ताला पर ताला लगाने के सवाल पर उनका कहना था कि तिवारी द्वारा लगाए गए ताले की चॉबी नहीं मिली तो उसके उपर एक और ताला लगाया गया है, ताकि तिवारी भी ताला न खोल सकें।