ताज़ख़बर36गढ़:- सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति कानून पर लिए गए अपने फैसले पर बोलते हुए कहा कि एकतरफा शिकायत पर किसी को गिरफ्तार करना उचित नहीं है. अगर एक पक्ष की शिकायत पर दूसरे पक्ष के किसी नागरिक पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रही है तो इसका मतलब हम सभ्य समाज में नहीं रह रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि संसद भी नागरिकों से जीवन जीने के अधिकार नहीं छीन सकती.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए है और गिरफ्तारी से पहले जमानत भी दी जा सकती है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने 20 मार्च के आदेश को लेकर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. अदालत ने इस मामले पर जुलाई में विस्तार से सुनवाई करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार की ओर से पेश पुनर्विचार के आग्रह पर पीठ ने कहा कि अदालत वैकल्पिक कानून नहीं बना सकती. पीठ ने कहा कि अनुच्छेद-21 (जीवन जीने व स्वच्छंदता का अधिकार) को कानून के हर प्रावधानों के साथ जोड़कर पढऩे की जरूरत है.
एकतरफा शिकायत पर गिरफ्तारी गलत, नहीं छीन सकते जीने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
एकतरफा शिकायत पर गिरफ्तारी गलत, नहीं छीन सकते जीने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
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