IAS भर्तियों से जुड़े केंद्र सरकार के फैसले से आईएएस अधिकारी नाराज
ताज़ख़बर36गढ़:-
आईएएस अफसरों के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप पर केंद्र सरकार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। अफसरों का कहना है कि यूपीएससी एक स्वतंत्र निकाय है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों का चयन करता है। अफसरों के चयन का अधिकार यूपीएससी के पास ही होना चाहिए।
नई व्यवस्था में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी लैटरल एंट्री से आने वाले कर्मियों का चयन करेगी जिन पर राजनीतिक नियंत्रण ज्यादा होगा। एक निश्चित अवधि के लिए बाहर से आने वाले प्रोफेशनल सरकार के बजाय ‘पॉलिटिकल मास्टर’ के प्रति ज्यादा जवाबदेह होंगे।
पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहते हैं कि 1990 के दशक में आईएएस का काडर कम कर दिया गया। इससे संयुक्त सचिव स्तर पर कम अधिकारी केंद्र के लिए उपलब्ध हो रहे हैं। संभव है, इसीलिए यह कदम उठाना पड़ रहा हो। हालांकि प्रशासनिक सेवा के अधिकारी लंबी चयन प्रक्रिया से चयनित होकर आते हैं।
यूपीएससी से चयनित अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर पर पहुंचने के पहले फील्ड से लेकर सरकार तक लंबी जिम्मेदारी निभा चुके होते हैं। ऐसे में नीतियां बनाने में उनकी भूमिका का महत्व रहता है। प्रोफेशनल अपने किसी क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ हो सकते हैं, पर वे आम लोगों की भावना को नीतियों में ठीक से स्थान दे पाएंगे, इसमें संशय है। सरकार का यह कदम उपयुक्त नहीं लगता है।