(ताज़ाख़बर36गढ़) टिकटों में होने वाला फर्जीवाड़ा रोकने के लिए अब टिकट पर बारकोड लगाए जाएंगे। इसके लिए आईआरसीटीसी और काउंटर टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर में बदलाव करेगा। इस बदलाव को पूरा करने में रेलवे को दो वर्ष का समय लगेगा। इसके बाद टिकटों पर फर्जीवाड़ा रुक जाएगा। चलती ट्रेन में सीटों की कालाबाजारी भी थम जाएगी। ट्रेन में प्रतिदिन लगभग 2.3 करोड़ यात्री सफर करते हैं। इनमें लगभग एक फीसदी यात्रियों के पास फर्जी टिकट पाए जाते हैं। आरक्षित टिकटों पर ‘बार कोड’ आने से टिकटों की जांच आसान होगी और फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।
हैण्ड हैल्ड मशीन से होगी जांच
रेलवे टीटीई (ट्रेन टिकट एक्जामनर) को हैण्ड हैल्ड मशीन देने जा रहा है। यह मशीन सीधे रेलवे सर्वर से जुड़ेगी। चलती ट्रेन में टीटीई मशीनों से टिकटों की जांच करेंगे और बार कोड को स्कैन कर सीधे सर्वर पर भेजेंगे। आरक्षित यात्रियों को अपने टिकटों की जांच कराना अनिवार्य होगा। मशीन रेलवे की ओर से जारी बार कोड को पढ़ लेगी।
यात्रियों को होंगे फायदे
ट्रेन में यात्रियों को अपने टिकट स्कैन कराने होंगे। आरक्षित और वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों का डाटा सॉफ्टवेयर पर आते ही खाली सीट ऑटोमेटिक वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को मिलेगी। यात्रियों को कन्फर्म सीट की जानकारी मैसेज के जरिए मिलेगी।
फर्जीवाड़ा होगा खत्म
टिकट में फर्जीवाड़े से यात्री परेशानी उठाते हैं। ऐजेंट यात्रियों को फर्जी पीएनआर जेनरेट कर देते हैं। जानकारी के बाद यात्रा रद्द करनी पड़ती है। इससे रेलवे की छवि भी धूमिल होती है। ‘बार कोड’ लगने के बाद यह सब खत्म होगा। हॉल्ट स्टेशन पर होते ही यात्रियों को अपनी सीट की जानकारी मिल जाएगी।