(ताज़ाख़बर36गढ़) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे शख्स रहे जिन्हें देशभर के राजनेताओं का सम्मान हासिल था। संसद में जब अटल बिहारी वाजपेयी का संबोधन होता था तो पक्ष हो या विपक्ष, सारे नेता उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुनते थे। भले ही संसद के अंदर अटल कांग्रेस के धुर विरोधी थे लेकिन उनके सभी पार्टी के नेता के साथ व्यक्तिगत संबंध काफी अच्छे थे। फिर चाहे वह इंदिरा गांधी रहीं हो या राजीव गांधी। राजीव गांधी के मृत्यु पर एक पत्रकार से बात करते हुए अटल बिहारी ने भावुक होते हुए एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था कि अगर वह आज जिंदा हैं तो सिर्फ राजीव गांधी की वजह से।
राजीव गांधी की असमय मौत मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है
1991 में पत्रकार करण थापर से बातचीत में राजीव गांधी और अपने संबंधों की चर्चा करते हुए वाजपेयी ने बताया था कि, ‘राजीव गांधी की असमय मौत मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। राजीव जी ने कभी भी राजनीतिक मतभेदों को आपसी संबंधों पर हावी नहीं होने दिया। मैंने अपनी बीमारी की बात ज्यादातर लोगों को नहीं बताई थी लेकिन राजीव गांधी को किसी तरह से इस बारे में पता चल गया तो उन्होंने मेरी मदद की। राजीव गांधी ने अपने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि जब तक अटल जी का इलाज पूरा न हो जाए, उन्हें वहीं रहने दिया जाए।
अटल ने राजीव को एक पोस्टकार्ड भेजकर उनको शुक्रिया कहा था
वाजपेयी ने करन से कहा, ‘जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो उन्हें कहीं से पता चला कि मुझे किडनी की बीमारी है जिसका इलाज विदेश में होगा तब राजीव ने मुझे दफ्तर बुलाया और कहा कि वो मुझे संयुक्त राष्ट्र जा रहे भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर रहे हैं और उम्मीद जताई कि मैं इस मौके का इस्तेमाल जरूरी इलाज के लिए करूंगा। मैं न्यूयॉर्क गया और अपना इलाज करवाया और आज जो ये मैं तुम्हारे सामने बैठा हूं। स्वस्थ होने के बाद अटल ने राजीव को एक पोस्टकार्ड भेजकर उनको शुक्रिया कहा था।