(ताज़ाख़बर36गढ़) केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में बारूदी सुरंगों से सुरक्षा के लिए माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल (बारूदी सुरंगों से संरक्षित वाहनों) की संख्या बढ़ाएगी। अर्द्धसैन्य बलों ने लगभग 50 ऐसे वाहनों की तुरंत जरूरत बताई थी। इसके चलते गृह मंत्रालय ने देश में बने वाहनों के अलावा अन्य देशों से भी खरीद के लिए संस्तुति दी है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले तीन सालों में की गई मांग और संस्तुति की तुलना में करीब 13 वाहन ही अर्द्धसैन्य बलों को उपलब्ध कराए गए हैं जबकि सरकार ने डेढ़ सौ से ज्यादा वाहनों की खरीद की मंजूरी दी है। सुरक्षा बल करीब 50 वाहनों की खरीद तुरंत चाहते हैं।
सुरक्षा बलों की मांग को देखते हुए गृह मंत्रालय ने आयुध निर्माण बोर्ड से निर्माण की गति तेज करने का अनुरोध किया है। साथ ही अमेरिका व इजरायल से भी खरीद व तकनीकी हस्तांतरण पर बात चल रही है।
सेना से प्रशिक्षण के लिए मदद
अर्द्धसैन्य बल नक्सल इलाकों में नक्सलियों की आईईडी योजना व अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए सेना से प्रशिक्षण की मदद ले रहे हैं। एक साल में करीब साढ़े चार सौ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। बेहतर तकनीकी के लिए लगातार सहयोगी देशों से बात की जा रही है। सरकार का मानना है कि नक्सल चुनौती से निपटने में लगातार सफलता मिल रही है। नक्सली हमले में होने वाली मौतों का सिलसिला काफी कम हुआ है।
उनके कोर गढ़ में घुसकर सुरक्षा बल सफलता हासिल कर रहे हैं, लेकिन कुछ नए इलाकों में पैठ बनाने की नक्सलियों की कोशिश को सुरक्षा बलों ने चुनौती के रूप में लिया है।
सरकार मानती है बड़ी चुनौती
गौरतलब है कि सरकार ने एक संसदीय समिति के सामने स्वीकार किया था कि नक्सल प्रभावित इलाकों में उन्नत विस्फोटक उपकरण आईईडी बड़ी चुनौती हैं। हमारे पास ऐसे वाहन उपलब्ध नहीं हैं, जो ज्यादा गहराई वाले आईईडी की पहचान कर सकें। माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल की क्षमता बढ़ाई गई है, लेकिन नक्सली हमारी हर तकनीकी की काट खोज लेते हैं।
अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए जा रहे
सुरक्षा बलों को बुलेटप्रूफ, जैकेट ड्रैगन सर्च लाइट, एमपीवी और अत्याधुनिक हथियार लगातार मुहैया कराए जा रहे हैं।