बिलासपुर-(ताज़ाख़बर36गढ़) भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य और भाजपा नेता प्रवीण दुबे बेलतरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हुए जनता की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने बेलतरा क्षेत्र के नागरिकों के लिए तीन जरूरी काम सोचकर रखा है। इसमें रोजगार, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा शामिल हैं। उनका दावा है कि वे बेलतरा से बीजेपी को जिताने के लिए गोपनीय तरीके से सालों से काम कर रहे हैं। उनके संपर्क में एक समाज के कर्ताधर्ता हैं, जो चुनाव को प्रभावित करते हैं। उनका कहना है कि बीजेपी में गुटबाजी के लिए कोई जगह नहीं है। दावेदारी सब करते हैं, लेकिन जब टिकट की घोषणा हो जाती है, तब सभी भाजपाई भाजपा के लिए काम करते हैं। इसलिए उन्हें नहीं लगता कि उन्हें टिकट मिलता है तो कोई भितरघात करेगा। भाजपा नेता प्रवीण दुबे ने ताजाखबर36गढ़.कॉम से खास बातचीत की है।
पेश हैं मुख्य बातचीत
सवाल: बेलतरा विधानसभा से आपकी दावेदारी का मजबूत आधार क्या है?
जवाब: … मैं मंगला में करीब 12 साल रहा हूं। वर्तमान में मैं दूसरी जगह रह रहा हूं और मंगला में मेरे व्यक्तिगत संबंध अधिक है। उरतुम में मेरा मामा गांव है। लगभग मेरे समाज के लोग अधिक हैं, जिनसे मेरा व्यक्तिगत संबंध है। दूसरा कारण यह है कि बेलतरा विधानसभा में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र हैं। करीब 60 प्रतिशत ग्रामीण एरिया है। मैं सहकारिता की राजनीति करता हूं। इस क्षेत्र में मैं कुछ करना चाहता हूं। सहकारिता ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे ज्यादा स्वरोजगार के अवसर हैं। यदि मुझे बेलतरा से प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला तो ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में किस तरह से रोजगार के अवसर सृजन करना है, उस पर मैं काम करूंगा। शुरुआत भले ही बेलतरा क्षेत्र से हो, लेकिन इसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। इसलिए मैं बेलतरा से दावेदारी कर रहा हूं।
सवाल: बेलतरा विधानसभा के लिए आपने ऐसा क्या काम किया है, जिससे वहां की जनता आपको स्वीकार करे?
जवाब: बेलतरा के कई किसान कई तरह की समस्याएं लेकर मेरे पास आते थे। मैं उनकी समस्याओं को हल कराने का यथासंभव प्रयास करता था। अधिकांश किसानों की समस्याएं हल भी कराई हैं। किसान ही चाह रहे हैं कि यदि मैं वहां से प्रतिनिधित्व करूंगा तो बेलतरा विधानसभा को ज्यादा फायदा होगा। दूसरी प्रमुख बात यह है कि मैं स्व. दिलीप सिंह जूदेव से जुड़ा हुआ हूं। आज भी मेरी उन पर श्रद्धा है। जूदेव जी ने बेलतरा विधानसभा से अपनी धर्म सेना का मुझे अध्यक्ष बनाया था। उस समय वहां पर ढेरों परिवारों का धर्मांतरण हुआ था। हमने 2013 में ऑपरेशन घर वापसी अभियान चलाया। इसके तहत करीब 71 परिवारों को धर्मांतरण से मुक्त कराया गया। मैं समझता हूं कि यह मेरा उल्लेखनीय कार्य है।
सवाल: अन्य दावेदारों से आपकी सक्रियता कम दिखती है। आपकी क्या तैयारी है?
जवाब: … भाजपा से जितने लोग भी टिकट मांग रहे हैं। सभी लोग एक परिवार के सदस्य हैं। पार्टीगत निर्णय होता है, उसे सब लोग स्वीकार करते हैं और मुझे भरोसा है कि यदि मुझे टिकट मिला तो उन लोग भी मुझे स्वीकार करेंगे। रही दूसरी बात… मेरी तैयारी की तो मैं गोपनीय तरीके से काम कर रहा हूं। कुछ चीजें ऐसी हैं, जिसे सार्वजनिक नहीं की जा सकती। हो सकता है कि अन्य दावेदार मुझसे ज्यादा सक्रिय होंगे, लेकिन मेरी भी सक्रियता में कोई कमी नहीं है। वहां एक समाज से ज्यादा वोटर हैं, जो चुनाव को प्रभावित करते हैं। वो लोग मेरे संपर्क में हैं। हर गांव में कोई न कोई मुखिया होता है, जिनके पास ग्रामीण अपनी समस्या लेकर आते हैं। ये मुखिया ही उनकी समस्याओं का निपटारा करते हैं। गांव के ऐसे मुखिया मेरे संपर्क में हैं, जिनके कहने पर संबंधित किसानों को राहत दिलाने का काम करता हूं।
सवाल: जैसे कि आपने बताया… बेलतरावासियों की समस्याओं का समाधान भी करते हैं। आप ऐसे तीन काम बताइए, जिसकी जरूरत बेलतरा विधानसभा को है और जिस पर आप फोकस कर रहे हैं?
जवाब: पहला… बेलतरा के ज्यादातर ग्रामीण रोजगार की तलाश में शहर आते हैं। मेरी कोशिश होगी कि मैं ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराऊं। यह सहकारिता से संभव हो जाएगा। दूसरा… ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा संस्थान की कमी है। वहां एक भी कॉलेज नहीं है। यदि मुझे प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला तो मैं ग्रामीण क्षेत्र में ही उच्च शिक्षा की व्यवस्था करूंगा, ताकि गांव के युवाओं को पढ़ाई करने के लिए शहर आना न पड़े। इससे उनके समय और धन की बचत होगी। तीसरी सबसे बड़ी जरूरत सर्वसुविधयुक्त बड़े अस्पताल की है। ग्रामीण क्षेत्र की जनता छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए जिला अस्पताल और सिम्स पर निर्भर हैं। गांव से यहां आने तक मरीजों की हालत खराब हो जाती है। मेरी कोशिश रहेगी कि हर गांव में 5 किमी के दायरे में उन्हें इलाज की सुविधा मिल सके।
सवाल: आप पर बाहरी होने का आरोप लग रहा है। यदि आपको टिकट मिला तो क्या स्थानीय दावेदार आपको पचा पाएंगे?
जवाब: हो सकता है… जो लोग मुझे बाहरी कह रहे हैं वो लोग मेरे विषय में अच्छे से नहीं जानते। गोंडपारा में खोरसीबाड़ा नाम की जगह है। वह हमारी संपत्ति थी, जिसे हमने 2007 में बेची है। मेरा जन्म जिला अस्पताल में हुआ है। मेरी पढ़ाई तिलकनगर सरस्वती शिशु मंदिर से हुई है। वर्तमान में मैं ग्राम पंचायत मंगला का मतदाता हूं। जो लोग मुझे बाहरी कह रहे हैं, वो मुझे यह बता दें कि मैं कितने समय तक उस गांव में रहा, जहां मेरी खेती-बाड़ी है।
ये है राजनीतिक पृष्ठभूमि
भाजपा नेता प्रवीण दुबे को राजनीति विरासत में मिली है। उनके बड़े पापा ब्रजेंद्रनाथ दुबे और पिता बृजलाल दुबे आरएसएस से जुड़े हुए थे। उन्होंने खुद ही तिलकनगर शिशु मंदिर से पढ़ाई की है। सबसे पहले उन्होंने सीखा कि राजनीत में करना क्या है। इसके लिए 1999 से छात्र राजनीति में आ गए। पहली जिम्मेदारी राहौद कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव में मिली, जिसमें बेहतर रिजल्ट दिया। 2007 में सहकारिता चुनाव संचालन की जिम्मेदारी मिली। बिलासपुर संभाग में 79 प्रतिशत रिजल्ट दिया। 2008 के चुनाव में बेमेतरा विधानसभा का दायित्व मिला। वहां सहायक रूप में काम किया। 2009 में लोकसभा चुनाव में स्व. दिलीप सिंह जूदेव के साथ काम किया। 2010 में भटगांव उपचुनाव में काम किया। इसी तरह बस्तर उपचुनाव युवा मोर्चा की तरफ से काम किया। 2012 में गुजरात के अमरेली जिला में बतौर चुनाव संचालक बनाकर भेजा गया। वहां छह विधानसभा सीट थी, जिसमें से चार विधानसभा में भाजपा ने जीत हासिल की। 2013 में पामगढ़ विधानसभा में काम किया। 2014 लोकसभा चुनाव में बनारस के दो मंडल में काम किया। वर्तमान में सहकारिता मंत्री के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं। वे प्रदेश युवा मोर्चा में कार्यकारिणी सदस्य थे। इसके अलावा अब तक कोई पद नहीं लिया।