सुप्रीम कोर्ट ने जेलों के अंदर कुछ खास कैदियों को विशेष सुविधाएं दिए जाने, वही आम कैदियों को बुनियादी सुविधाओं के ना मिलने पर पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. जस्टिस मदन बी लोकुर ने तिहाड़ जेल के अंदर यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा को विशेष सुविधाओं का मज़ा लेने के बारे में छपी मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए नाराजगी जाहिर की. जस्टिस लोकुर ने कहा कि ये क्या हो रहा है? क्या जेल के अंदर समांतर सरकार चल रही है. लोग जेल के अंदर टीवी, सोफा का आनंद ले रहे हैं. इस पर केंद्र सरकार का क्या कहना है, क्या इस पर भी सरकार कहेगी कि ये राज्यों का विषय है.
जस्टिस लोकुर ने कहा, जब तब हम ऐसी ख़बरें पढ़ते हैं, कभी तमिलनाडु में, कभी बिहार में, जेलों में मोबाइल फोन इस्तेमाल हो रहे हैं. कोर्ट ने एडिशनल सेशन जज रमेश कुमार की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें तिहाड़ जेल अधिकारियों पर संजय चंद्रा को टीवी देखने , मिनरल वाटर जैसी सुविधाएं दिए जाने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने कहा कि ये तो ऐसे हुआ, जेल जाइये और जीवन का मज़ा लीजिए. आप दुनिया को क्या बताना चाहते है कि हमारा जुडिशल सिस्टम काम नहीं करता.
सरकार जवाब दाखिल करेगी
कोर्ट रूम में केंद्र सरकार की ओर से मौजूद एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अमन लेखी ने भी इससे सहमति जताई. अमन लेखी ने कहा- ये गम्भीर मुद्दा है,जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है. मामला सोमवार के लिए टल गया, जब केंद्र अपना जवाब दाखिल करेगा.
अफसर दफ़्तरों से बाहर निकलें, आम कैदियों की हालत देखें
वही दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने जेल के अंदर कैदियों को बुनियादी सुविधाएं न दिए जाने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो अपने अफसरों को अलग अलग जेलों में भेजें और पता करें कि वहां स्थिति कितनी दयनीय है. जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा, आपने सारी चीज़ों को मजाक में तब्दील कर दिया. आप कुछ जेलों, ऑब्जरवेशन होम में जाइये. अपने अधिकारियों से कहिए, वो अपने दफ्तरों से बाहर निकलें. जेलों में नल काम नहीं कर रहे हैं, सीवेज सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने गुरुवार तक इस पर भी सरकार से जवाब मांगा है.