नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग ( NIOS ) की कक्षा दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा में धांधली पर सीबीआई ने मध्य प्रदेश, हरियाणा के फतेहाबाद और फरीदाबाद , ओडिशा के भुवनेश्वर व गंजाम, असम के गुवाहाटी, कामरूप, लखीमपुर, गंगटोक और दिल्ली समेत 26 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की गई है. इसके साथ ही अध्ययन केंद्रों की छानबीन की जा रही है. पेमारी में हार्ड डिस्क, मोबाइल सहित 200 दस्तावेज जब्त किए गए. अधिकारियों पर वर्ष 2017 में 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा में कथित कदाचार के आरोप हैं.इस मामले में 1800 छात्र जांच के घेरे में हैं. जांच एजेंसी ने इस साल 23 जुलाई को इस मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था.
दरअसल, दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले कोचिंग संचालक आशीष मसीह और सुदर्शन सिंह के घर से भी सीबीआई ने गड़बड़ी के दस्तावेज बरामद किए हैं. अब तक 1800 ऐसे छात्रों के पास होने के प्रमाण मिले हैं, जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए फर्जी तरीके से अटेंडेंस शीट और उत्तरपुस्तिकाएं तैयार की गई थी.
सीबीआई द्वारा मध्यप्रदेश के भोपाल, सीहोर, रतलाम व उमरिया सहित छह राज्यों के 26 ठिकानों पर एक साथ छापेमार कार्रवाई की गई है. भोपाल में बावड़ियाकला के कंफर्ट पाम और जहांगीराबाद में रहने वाले एनआईओएस के दो पूर्व कर्मचारियों के घर से भी सीबीआई ने कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं.इसके अलावा सीबीआई ने मानस भवन स्थित रीजनल सेंटर से भी दस्तावेज मांगे हैं. सीबीआई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जुलाई 2018 में शिकायत भेजी थी कि दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में सीहोर, रतलाम और उमरिया के परीक्षा केंद्रों से बड़े पैमाने पर ऐसे छात्र पास हुए हैं, जो परीक्षा में गैरहाजिर थे. पूरी छापेमारी के दौरान हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और कई फंसाने वाले दस्तावेज जैसे एडमिट कार्ड, वाउचर, पासबुक-चेकबुक, मार्क शीट, मुहर, आंसर शीट और डायरी जब्त की गई हैं. .
ये है पूरा मामला
शैक्षणिक सत्र 2016-17 में हजारों की संख्या में बिना पेपर दिए छात्र पास हुए थे. यह सब कोचिंग सेंटर और NIOS के संलिप्त अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था. ये वही कोचिंग सेंटर हैं जिनके गली-मोहल्ले में 9वीं पास सीधे 10वीं और 11वीं फेल 12वीं कक्षा पास करें का इश्तहार जगह-जगह चिपके रहते हैं. ये कोचिंग सेंटर ही पैसों के दम पर बिना परीक्षा दिए ही छात्रों को पास कराने का ठेका उठाते हैं और ओपन स्कूल के अधिकारियों की मदद से उन्हें पास करा देते हैं.