छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने वादे के अनुसार राज्य में किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी है। इसके तहत 16 लाख से अधिक किसानों का 6100 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद पहली बार मीडिया को संबोधित करते हुए भूपेश बघेल ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि मीडिया शासन प्रशासन को आईना दिखाने का काम करता है। मीडिया कर्मचारियों के साथ क्या गुजरा है मैंने बहुत करीब से महसूस किया है मेरी कोशिश होगी कि ऐसा अब न हो यह विश्वास दिलाता हूं।
मुख्यमंत्री के अनुसार मीडिया के सहयोग से शासन चलाने में मदद मिलेगी। समस्याओं का संवेदनशील तरीके से निराकरण की कोशिश होगी। उन्होंने प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल और राज्य निर्माण में योगदान देने वालों को याद किया।
बघेल ने कहा कि हमने दस दिन में कर्ज माफी का वादा घोषणा पत्र में किया था। धान का समर्थन मूल्य 1700 से बढ़ाकर 2500 रुपये करने की बात कही थी। इसकी हम घोषणा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि झीरम घाटी में नरसंहार राजनेताओं का हुआ।इसके लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है। तीन महत्वपूर्ण फैसले पहले ही दिन लिए गए। पिछले सरकार में ऐसा बहुत कुछ देखा जो अब नहीं दिखेगा। उन्होंने नान घोटाले आदि सवालों पर कहा कि सबके साथ निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी। हम किसी के साथ बदले की कार्रवाई नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान हमारा अन्नदाता है। हम उनसे किए सारे वादे पूरे करेंगे। हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है। बघेल ने कहा कि नक्सल समस्या और शराब बंदी जैसे मुद्दों पर एक झटके में निर्णय नहीं लिया जा सकता है। हम शराबबंदी के पक्षधर हैं लेकिन इसका अध्ययन कर सामाजिक पहलू पर विचार कर कोई निर्णय लेंगे।
शपथ लेते ही मुख्यमंत्री पहुंचे मंत्रालय, ली अफसरों की पहली बैठक
मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व में आयोजित नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में किसानों के कर्जमाफी का निर्णय ले लिया गया। राज्य के 16 लाख 50 हजार किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये लिया हुआ सभी कर्ज माफ हो जाएगा। इसमें कर्ज की कोई सीमा नहीं तय की गई है।
सभी का कर्ज माफ होगा। भूपेश ने बताया कि अब धान का समर्थन मूल्य भी 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल होगा। कैबिनेट का तीसरा महत्वपूर्ण फैसला है कि झीरम कांड की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया जाएगा।
भूपेश ने कहा कि नक्सल समस्या कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक समस्या है। इसके हल के लिए प्रयास करना होगा। गोली नक्सली भी चला रहे हैं और पुलिस भी, जबकि जंगल में रहने वाले आदिवासी पीड़ित हैं। हम आदिवासियों से बात करके समस्या का हल निकालेंगे।