राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ ही मध्यप्रदेश में कमल नाथ और छत्तसीगढ़ में भूपेश बघेल ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी. गहलोत ने 17 दिसम्बर को सुबह 11 बजे तो कमल नाथ ने दोपहर ढाई बजे तथा बघेल ने रायपुर में सायं 6 बजे कांग्रेस सरकार के सीएम पद की शपथ ली थी. शपथ लेने के दो घंटे के अंदर ही कमल नाथ ने मध्यप्रदेश के किसानों के दो लाख रुपए तक के ऋण माफ कर दिए और छत्तसीगढ़ में भूपेश बघेल ने कुछ चार घंटे में ये काम किया.
लेकिन राजस्थान में शपथ ग्रहण को दो दिन गुजर जाने के बाद भी किसानों की कर्ज माफी का निर्णय सरकार ने नहीं लिया है, यह सही है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि दस दिन में किसानों के ऋण माफ कर दिए जाएंगे. इस लिहाज से राजस्थान के पास अभी भी आठ दिन बाकी हैं, लेकिन राजस्थान के संदर्भ में यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेने के बाद ही कर्ज माफी का ऐलान कर दिया है.
वहीं राजस्थान में तर्क दिया जा रहा है कि राजस्थान में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पास कर किसानों के ऋण माफ किए जाएंगे. कर्ज माफी के लिए मंत्रिमंडल की बैठक को जरुरी क्यों बताया जा रहा है? यहाँ सवाल यह भी उठता है कि ऐसा नियम मध्यप्रदेश और छत्तसीगढ़ में क्यों नहीं है?