बिलासपुर- अंतागढ़ टेपकांड की एसआईटी जांच का स्वागत करते हुए अमित जोगी ने एक बयान जारी कर कहा है कि हाईकोर्ट के जज की निगरानी में जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि अंतागढ़ से सम्बंधित दोनों टेपों के सम्बंध में मैंने 16 मार्च 2016 को विधान सभा में अपनी बात रखी थी। साथ ही साज़िशकर्ताओं के विरुद्ध आपराधिक मानहानि का न्यायालय में प्रकरण भी दर्ज करा था। इस सम्बंध में में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश का 19 सितंबर 2018 का वो आदेश सलग्न कर रहा हूँ जिस की कंडिका (10) में स्पष्ट रूप से तथाकथित टेप में “कई तरह से लीपा-पोती करने” की बात पाई गई है और जिस आधार पर उसके पुनः जाँच के आदेश दिए गए हैं।
जोगी ने कहा है कि पूरे प्रकरण की एसआईटी अथवा अन्य किसी भी संस्था से निष्पक्ष जाँच एक पीठासीन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में समय बद्ध तरीक़े से होनी चाहिए। जाँच के दायरे में वो 10 बेहद महत्वपूर्ण बिंदु भी सम्मिलित होने चाहिए जिनका मैंने अपने 2016 में विधानासभा के भाषण में उल्लेख किया था। ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और साज़िशकर्ता बेनक़ाब हो सके। इस बात पर आज भी मैं अडिग हूँ।
अमित जोगी ने की माँग– पूरे प्रकरण की एसआइटी या अन्य किसी भी संस्था से निष्पक्ष जाँच एक पीठासीन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में समय बद्ध तरीक़े से होनी चाहिए। जाँच के दायरे में वो 10 बेहद महत्वपूर्ण बिंदु भी सम्मिलित होने चाहिए जिनका मैंने अपने 16 मार्च 2016 भाषण में उल्लेख किया था ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और साज़िशकर्ता बेनक़ाब हो सके।