कांग्रेस ने बुधवार को एक बार फिर राफेल मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने अपने कार्यालय का दुरुपयोग कर दसॉल्ट कंपनी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है, जिसके लिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक धाराओं में मामला चलना चाहिए। दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि राफेल सौदे में भारतीय समझौता वार्ता टीम (आईएनटी) को दरकिनार कर प्रधानमंत्री की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अंतिम वार्ता की।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आईएनटी को दरकिनार कर 36 जहाजों की समझौता वार्ता खुद कर रहे थे। आईएनटी की फाइल नोटिंग के पैरा 11 से साफ है कि 36 जहाजों की अंतिम समझौता वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 12 व 13 जनवरी, 2016 को पेरिस (फ्रांस) गए थे और 13 जनवरी, 2016 को इस सौदे पर हस्ताक्षर हो गए। अजीत डोभाल न तो भारतीय समझौता वार्ता टीम का हिस्सा थे और न ही मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने उन्हें अधिकृत किया था।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार साफ है। प्रधानमंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राफेल बनाने वाली दसॉल्ट एविएशन को नाजायज फायदा पहुंचा कर सरकारी खजाने को चूना लगाया है। यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के सेक्शन 13 (1)(डी) तथा भारतीय दंड संहिता का मामला बनता है।