रायपुर/ छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों पर दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। न्यायमूर्ति सेवानिवृत एके पटनायक इस समिति के अध्यक्ष होंगे।
छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता अथवा अतिरिक्त महाधिवक्ता, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव, महानिदेशक जेल (नक्सल ऑपरेशन प्रभारी), पुलिस महानिदेशक और बस्तर संभाग के कमिश्नर इस समिति के सदस्य होंगे। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि फर्जी नक्सल मामलों में जेल में बंद आदिवासियों को छोड़ा जाएगा।
वर्ष 2015 में सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन के अपहरण के बाद हुई रिहाई के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ चल रहे मामलों को निपटाने के लिए बुच कमेटी का गठन किया था। मध्यप्रदेश की पूर्व चीफ सेक्रेटरी निर्मला बुच ने आदिवासियों पर चल रहे मुकदमों की समीक्षा के बाद 57 मामलों में से 47 में जमानत देने की सिफारिश की थी।
बुच कमेटी की कुल दस बैठक हुई, लेकिन आदिवासियों की रिहाई की दिशा में बड़ा बदलाव नहीं आ पाया। बुच कमेटी ने 300 मामलों की समीक्षा की थी। 81 मामलों में आदिवासियों की जमानत का विरोध नहीं करने का सुझाव दिया था। प्रदेश की जेल में बंद कैदियों में सात फीसद नक्सली और नक्सल मामलों से जुड़े हैं। बुच कमेटी ने नक्सली और गैर नक्सली सभी मामलों में सुनवाई की थी।